कविता

बेखबर जिंदगी

जिंदगी के रंग भी बदलते है
कभी हम बेखबर जिंदगी से
अनजान सफर की ओर चल देते है
जिंदगी में कभी ख़ुशी कभी गम
जीवन की राह में कभी सहज होते
हर पल खुशी हो यह जरूरी नहीँ
दुख भी जिंदगी का रूप ही है
जिंदगी जो चाहा वो मिले
ये भी कोई जरूरी नहीँ है
जिंदगी भी एक किताब होती
जिनके पन्ने हम पढ़ पाते
कब क्या कैसे होगा घटित
सबको खबर होती बेखबर जिंदगी की
खाली हाथ आये जीवन में
खाली ही हाथ ही जाना है
फिर क्यो हम भागदौड़ में लगरहे
कुछ अच्छे कर्म करे जीवन में
जो हमेशा हमें याद करें
मोह में बांधकर जिंदगी को
दुख दर्द को इस पीड़ा को सहते है
अन्त समय मे जिंदगी बेखबर होती है

— पूनम गुप्ता

पूनम गुप्ता

मेरी तीन कविताये बुक में प्रकाशित हो चुकी है भोपाल मध्यप्रदेश