गीतिका/ग़ज़ल

कामयाबी को पाना हो

छोड़ लोगों की ईर्ष्या को, अपने पथ  पर बढ़ता जा।
जो राह का अवरोधक हो, निष्ठुर मन  से लड़ता जा।
कामयावी   मंत्र  नहीं  है, मार्ग   दर्शन    स्वयं  करो,
मंज़िल एक दिन मिलेगी, जोश कदमों में भरता जा।
किसी की  बैसाखियों से, मत  नापो  सफर  अपना,
पग पग ठगड़े ठगते मिलेंगे, उन से आप बचता जा।
लक्ष्य तभी होगा यह पूर्ण, मन में भटकन मत लाना,
न होना विचलित तुफानो से, चट्टानों सा अड़ता जा।
कामयावी उन्हें है मिलती, जो धैर्य, हिम्मत रखते हैं,
चापलूसों की परवाह न कर, अपना कर्म करता जा।
गिराने वाले बहुत मिलेंगे, हर मोढ़  पर  सजग रहना,
कामयावी  को पाना है , हर मुश्किल  को हरता जा।
मेहनत का फल मीठा होता, व्यर्थ न जाए  श्रम तेरा,
बहा कर के खून पसीना, मंजिल का  घट भरता जा।
छोड़ लोगों की ईर्ष्या को, अपने पथ  पर बढ़ता जा।
जो राह का अवरोधक हो, निष्ठुर मन से  लड़ता जा।
— शिव सन्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. [email protected] M.no. 9418063995