छोड़ लोगों की ईर्ष्या को, अपने पथ पर बढ़ता जा।
जो राह का अवरोधक हो, निष्ठुर मन से लड़ता जा।
कामयावी मंत्र नहीं है, मार्ग दर्शन स्वयं करो,
मंज़िल एक दिन मिलेगी, जोश कदमों में भरता जा।
किसी की बैसाखियों से, मत नापो सफर अपना,
पग पग ठगड़े ठगते मिलेंगे, उन से आप बचता जा।
लक्ष्य तभी होगा यह पूर्ण, मन में भटकन मत लाना,
न होना विचलित तुफानो से, चट्टानों सा अड़ता जा।
कामयावी उन्हें है मिलती, जो धैर्य, हिम्मत रखते हैं,
चापलूसों की परवाह न कर, अपना कर्म करता जा।
गिराने वाले बहुत मिलेंगे, हर मोढ़ पर सजग रहना,
कामयावी को पाना है , हर मुश्किल को हरता जा।
मेहनत का फल मीठा होता, व्यर्थ न जाए श्रम तेरा,
बहा कर के खून पसीना, मंजिल का घट भरता जा।
छोड़ लोगों की ईर्ष्या को, अपने पथ पर बढ़ता जा।
जो राह का अवरोधक हो, निष्ठुर मन से लड़ता जा।
— शिव सन्याल