कविता

बदलते रिश्ते

जीवन की राह पर इंसानों को रिश्ते बदलते देखा है
कुछ किस्मत में होते हैं कुछ जुड़ते चले जाते है
जो देते है सदैव साथ बुरे वक्त में
 साथ छोड़ते देखा है
कहीं भरोसा टूटा बदलतें रिश्तों के सब रंग देख लिए
आज अभिमान करने वालो को नीचे सर झुकाए देखा है
सफलता जिसे भी मिल जाती उसे गुरूर करते देखा है
आज की दुनियां में सबको अपनी अपनी पड़ी है
हर मानव अपने अनुसार चलता राह चलता जा रहा है
आज बदलते रिश्तों में जलन क्रोध अह भी आ गया
अपनापन तो नहीँ रिश्तों में दिखावा आ गया
रंग बदलती दुनियां में अब रिश्तें बदलने लगे हैं
वक्त के साथ लोंगो के व्यवहार  बदलते देखा है
तारीफ करते है सामने पीछे बुराई करते हुए देखा
रंग बदलती दुनियां में बदलते रिश्ते देखे हैं
— पूनम गुप्ता

पूनम गुप्ता

मेरी तीन कविताये बुक में प्रकाशित हो चुकी है भोपाल मध्यप्रदेश