कविता

मेरे राम

दशरथ कौशल्या सुत राम
अयोध्याधाम के राजा राम
केकई के वनवासी राम
हनुमान के सब कुछ राम।
असुरों, राक्षसों के संहारक राम
रावण, बालि बध कर तारे राम।
सुग्रीव विभीषण के मित्र राम
अहिल्या,शबरी के उद्धारक राम,
जनक के जमाई राम,
सीता के पति परमेश्वर राम।
मर्यादा की मूरत राम
अविचल अविनाशी राम
शांत सौम्यधारी राम
मातु पितु आज्ञाकारी राम।
जन जन में बसते हैं राम
कण कण में समाहित राम,
धरती आकाश पाताल में राम
जीव निर्जीव सभी राम।
मेरे अंतर्मन में राम
मेरे प्यारे प्रभु श्री राम,
हैं मेरे उद्धारक राम
मेरे सब कुछ राम ही राम।
राम की महिमा राम ही जाने
अपने भक्तों को वो जाने
भक्तों के कष्ट मिटाते राम
ऐसे मेरे है श्री राम।

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921