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करवा चौथ, वट सावित्री व्रत और लव लॉक क्या हैं फर्क

करवा चौथ या करवा चौथ जैसे  व्रत अमूमन देश के सभी राज्यों में रखे जाते हैं, पति के दीर्घायु की कामना करते हुए पत्नी बड़ी ही तपस्या से ये व्रत रखती हैं।ये पति के प्रति प्रेम और श्रद्धा का पर्व हैं।जिससे पति पत्नी एक दूसरे के नजदीक आते हैं और प्यार में भी वृद्धि होती हैं।दूसरी बात कि रोजबरोज की जिंदगी में थोड़ा परिवर्तन आने से जीवन में रंग भर जाते हैं।कुछ ज्यादा सजने संवार ने से कुछ अलग ही भावनाएं आती हैं।लेकिन उसे दकियानूसी कहने वाले विदेशी लोग ही नहीं हैं,अपने देसी लोग भी हैं।मजाक उडाते हैं और करवा चौथ नजदीक आते ही सोशल मीडिया में उस बारे में अजीब से मैसेज आने शुरू हो जाते हैं। यहां तक कि व्रत रखने वाली स्त्रियों से भी मजाक किया जाता हैं कि वह व्रत सिर्फ उपहार पाने के लिए ही रखा करती हैं।सौभाग्यवती होने का आनंद ही कुछ और हैं,हर साल  एकबार फिर से दुल्हन बनने का एहसास ही कुछ और होता हैं ।वैवाहिक जीवन में आई कटुता कम हो जाती हैं, प्यार और वैवाहिक जीवन को जीवंत रखते हैं ऐसे व्रत और त्योहार।
 वट सावित्री का व्रत उस दिन रखा जाता हैं जिस दिन यमराज से सावित्री अपने सत और तप के प्रभाव से अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस लाई थी।उसी के प्रतीकात्मक रूप से ये व्रत सौभाग्यवती स्त्री रखती हैं।जिसमे सभी देवी देवताओं का वास हैं वैसे वट वृक्ष की पूजा की जाती हैं।स्त्रियां सोलह सिंगार कर अपने सौभाग्य के सभी चन्हों को धारण करती हैं,हर साल वह एकबार फिर नई नवेली दुल्हन की तरह सजती हैं और व्रत रख कर रात्रि जागरण भी करती हैं।इस व्रत के आते ही लोग उसके बारे में व्यंग करने लगते हैं।
    हमारे सभी त्यौहारों का विदेशी तो विदेशी स्वदेशी भी मजाक उड़ा उन्हे दकियानूसी बताते हैं।लेकिन हम में इतनी बेबाकी नहीं हैं कि हम उन विदेशी रितों का मजाक कर सके,फिर वह चाहे वेलेंटाइन डे हो,मदर्स डे हो,फादर्स डे हो,या शुष्क मौसम में मनाया जाता क्रिसमस हो।हमारे त्यौहारों में फसल का पकना,ऋतु का फलने का मौसम हो या बसंत हो,वर्षा ऋतु हो या फिर देवी देवताओं के अवतरण का दिन हो लेकिन कुछ न कुछ तथ्य होता हैं फिर भी हम उनका मजाक उडाते हैं लेकिन उनके त्यौहारों को खुशी खुशी मनाते हैं कभी मजाक न वे लोग उड़ते हैं और न ही हम उनका विरोध ही करते हैं।
 सैनफ्रांसिस्कॉ के गोल्डन गेट ब्रिज हो या पेरिस की सीन नदी पर आया ब्रिज हो जहां रेलिंग पर लगी जालियों में ताले लगा कर चाबियों को नदी के पानी में डाल दिया जाता हैं ताकि उनके रिश्ते हमेशा के लिए बंधे रहे।इसी प्यार की मजबूती के बदलें ब्रिज पर चलना ही खतरनाक हो गया।उसकी पेनलें कमजोर होती गई।वहां से ताले हटाने में प्रशासन को काफी खर्च करना पड़ता हैं और उस जगह का रख रखाव भी करना पड़ता हैं।
 जग विख्यात सैनफ्रांसिस्को के गोल्डन गेट ब्रिज का पर्वतीय नजारा देखने के लिए साइट सीइंग प्वाइंट हैं जहां हजारों छोटे छोटे ताले लगे हुए देख कुछ तो अचरज हुआ और पृच्छा करने पर पता चला कि वे लोवलॉक या लवपैड लॉक थे,जिसके ऊपर दो नाम और डेट लिखी हुई थी।इस रस्म को  एक फैशन का रूप दिया गया हैं,कोई भी जोड़ा प्यार होने के बाद या शादी हो जाने के बाद यही जगहों पर जाके तालों पर दोनों का नाम और तारीख लिख कर वहां जा ताला लगाना उनके लिए आम बात हो गई हैं। यही दो जगहों पर नहीं,सर्बिया के जुबावी रांका बांजा और अमेरिका की नापा वैली में वाईन ट्रेन स्टेशन और जोड़ने वाला गोल्डन ब्रिज ,फ्रांस,पोलैंड, नेदर लैंड,जर्मनी,ऑस्ट्रिया, ऑस्ट्रेलिया,रशिया,चीन और साउथ कोरिया में भी ये प्रथा मशहूर हैं।अब कई जगहों पर ’नो लव लॉक ’ मुहिम चलाई जा रहीं हैं ताकि ये रिवाज से हो रहे नुकसान से बचा जाएं।क्योंकि उन लाखों तालों के वजन से ब्रिज के अस्तित्व को खतरा पैदा हो रहा हैं।उन्हे बार बार काट कर हटाना जरूरी बन जाता हैं।
  वैसे भी जिन देशों में ये रिवाज चल रहा हैं वहां शादी कितनी टिकाऊ हैं ये भी प्रश्न हैं।वहां एक ही आदमी या औरत कितनी बार और किस किस के साथ लव लॉक लगाने जातें हैं ?ये  भी सर्वे करवाने वाला मामला बनता हैं।
— जयश्री बिरमी

जयश्री बिर्मी

अहमदाबाद से, निवृत्त उच्च माध्यमिक शिक्षिका। कुछ महीनों से लेखन कार्य शुरू किया हैं।फूड एंड न्यूट्रीशन के बारे में लिखने में ज्यादा महारत है।