गीतिका/ग़ज़ल

दीदार की हसरत

सुरमई रंग छा गया है फिर निगाहों में
ढलने लगी है सांस भी दिल की आहों में
फिर भी है इंतज़ार का निगाहों में बसर
दीदार की हसरत लिये आंखें हैं राहों में
रहा न वो ज़माना दिल माने न नादान
अब भी तलाशता है उल्फ़त उन्हीं बाहों में
यूं टीसता है दर्द ए दिल उठने लगा धुंआ
चिलमन है तबस्सुम की दिल की कराहों में
सहमे हुये ख़्वाबों के ये टूटे हुये टुकड़े
आए हैं बमुश्किल से तेरी पनाहों में
सुनते हैं तुम अश्कों के बड़े हो तलबग़ार
लाए हैं भरे प्याले अल्ताफ़ की छाहों में
— पुष्पा “स्वाती”

*पुष्पा अवस्थी "स्वाती"

एम,ए ,( हिंदी) साहित्य रत्न मो० नं० 83560 72460 [email protected] प्रकाशित पुस्तकें - भूली बिसरी यादें ( गजल गीत कविता संग्रह) तपती दोपहर के साए (गज़ल संग्रह) काव्य क्षेत्र में आपको वर्तमान अंकुर अखबार की, वर्तमान काव्य अंकुर ग्रुप द्वारा, केन्द्रीय संस्कृति मंत्री श्री के कर कमलों से काव्य रश्मि सम्मान से दिल्ली में नवाजा जा चुका है