भोलापन
फोन की घंटी चीख रही थी।न चाहते हुए भी रीता ने फोन उठाया
हैलो!जी भैया नमस्ते
भैया की प्यारी बहन मैं भैया नहीं भाभी हूं। दूसरी ओर से आवाज आई।
जी भाभी! सादर प्रणाम। कैसी हैं आप, भैया और बच्चे। रीता एक सांस में बोल गई।
उधर से उत्तर मिला-ठीक है।
बहुत अच्छा लगा भाभी। आज सचमुच मेरे लिए खुशी का दिन है। रीता के स्वर में प्रसन्नता थी।
बात तो ठीक है रीता बहन। मगर ये क्या बात हुई कि आजकल आप भाई से नाराज़ हो।
ऐसा आपने कैसे सोच लिया भाभी।मैं भला भाई से नाराज़ क्यों होऊंगी? भाई ही तो मेरा संबल हैं। ऐसा करके मैं मैं अपने भैया का अपमान क्यों करुंगी। रीता के स्वर में पीड़ा का भाव था।
मैं तो आपको जानती भी नहीं।बस आपके भैया जितना बताते हैं,जानती हूं। मगर पिछले एक सप्ताह से कुछ उदास हैं, परेशान भी, शायद आपको लेकर। मैं भी महसूस कर रही हूं कि शायद आप दोनों में बातचीत नहीं हो रही है।
क्षमा कीजिए भाभी। मैं अपनी ग़लती मानती हूं, मगर मैं अपने भाई को दुविधा में नहीं डाल सकती। आप भैया को कुछ मत कहना। मगर पिछले हफ्ते मेरा एक्सीडेंट हो गया था।भाई को नहीं बताया कि परेशान हो जाएंगे।बस इसीलिए फोन नहीं करती।
मगर ये तो कोई बात नहीं हुई।वो तो तब भी परेशान ही हैं न। या तो आप उन पर भरोसा नहीं कर पा रही हो या रिश्तों को बहुत कमजोर समझती हो।
वे मुझसे कुछ भी नहीं छिपाते।आपके बारे में भी सब बता चुके हैं। मुझे भी हमदर्दी है। दुःख दर्द बांटने से कम होते हैं। छुपाने से बढ़ते ही हैं।एक तरफ तो आप उनको इतना मान दे रही हो,तो दूसरी ओर अपनी परेशानी भी छिपा रही हो।
सारी भाभी मुझे क्षमा कर दो। मगर भैया को कुछ न बताइएगा। नहीं तो बहुत डाँटेंगे मुझे।
वाह क्या भोलापन है? डाँट तो खाना ही पड़ेगा। बताना तो पड़ेगा ही उन्हें, गलती तुम की हो,डांट मुझे खिलाना चाहती हो। वैसे भी इतनी बड़ी बात जानकर चुप तो नहीं रहा जा सकता। माना कि हमारे खून के रिश्ते आप के साथ नहीं हैं, मगर हमारे लिए ये रिश्ता उससे भी बढ़कर है।
चलिए अब फोन रखिए, हम शाम तक आपके सामने होंगे।हम भी देखना चाहेंगे कि इतनी निर्दयी बहन को।जो खुद तो परेशान हैं, और न चाहते हुए भाई भाभी को परेशान कर रही है।
रीता सिसक उठी। जरूर भाभी आपका स्वागत है। मैं आप दोनों की राह देखूंगी। भैया के कोप से भी आप ही बचाइगा।
और फोन काट दिया। वह अपने मुंह बोले भाई के संरक्षण और प्रेम पर गर्व कर सिसक उठी।