निर्गुण होकर भी जिसने गुणों का बखान किया है,
तत्व का वह विशिष्ट ज्ञान शिव ही है।
धतूरे और विष का जिसने पान किया है,
सुध और बेसुध में वह सृष्टि का निर्माण शिव ही है।।
अक्षर,शास्त्र,वेद और ब्रह्माण्ड का जिसने प्रतिपादन किया है,
वर्तमान का वह साक्ष्य प्रमाण शिव ही है।।
जीवन और प्रेम का जिसने गान किया है,
अनंत काल तक चिरंजीवी वह भगवान शिव ही है।।
मृत्युपर्यंत अनुभवों का जिसने चक्रज्ञान लिखा है,
चिता में भस्म के व्याख्याता नारायण शिव ही हैं।।
मोह, प्रेम और वैराग्य का जिसने अनुष्ठान किया है,
निर्मोही की दृष्टि का वह ध्यान शिव ही है।।
–रेखा घनश्याम गौड़