गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

मखमली यादों को मैं सजाऊँ कैसे ।
उनको अब दिल से मैं भूलाऊँ कैसे।

वक्त अब इन्तहा का हुआ है खतम
फिर से यूँ दिल में उन्हे बसाऊँ कैसे ।

छोड़ के साथ मेरा वो क्यूँ चले गये,
रिश्ता बेदर्द से अब मैं निभाऊँ कैसे।

जमाने के भी दस्तूर कुछ रहे हैं मगर ,
उनसे अब नजरें भी मैं मिलाऊँ कैसे।

मखमली यादों को मैं सजाऊँ कैसे।
उनको अब दिल से मैं भूलाऊँ कैसे।

वीणा चौबे

हरदा जिला हरदा म.प्र.