कविता

जिंदगी अगर किताब होती

जिंदगी अगर किताब होती
हम उसके पन्नो को पढतें
कब हम अपने अरमान पूरे करेगें
जीवन में हर रंग को कैसे भरेंगे
कौन सा रिश्ता जीवन भर साथ निभायेगा
कब हम खुश होंगे कब उदास होंगे
फाड़ देते उन पन्नों को जो हमें  रुलाता
उन पन्नो को हम लिखते जिससे हमें खुशी मिलेगीं
हमने जीवन में क्या खोया क्या पाया
एक पन्ना में  समाज और देश के भविष्य की बातें
महामारी से हम कब तक मुक्ति होंगे ये पन्ना भी होता
एक एक पल की हम खुशी को कैसे बाँटते
कैसे खत्म होगी जिंदगी यह पता करने का पन्ना होता
जिंदगी अगर एक किताब होती
— पूनम गुप्ता

पूनम गुप्ता

मेरी तीन कविताये बुक में प्रकाशित हो चुकी है भोपाल मध्यप्रदेश