ग़ज़ल
याद उनकी आती रही रात भर,
नींद आंखों से जाती रही रात भर
सीमा पर तैनात है वह बनकर प्रहरी,
उनकी सलामती को मनाती रही रात भर
कैसे कहूं आ जाओ हर त्यौहार में,
दिल को खुद समझाती रही रात भर
लाए थे वह करवा चौथ में लाल चुनरी,
ओढ़ उन्हें खुद को सजाती रही रात भर
देश की खातिर हो गए वह शहीद,
तस्वीर पर दिया जलाती रही रात भर
— सविता सिंह मीरा