कविता

न जीएंगे न जीने देंगे

व्यंग्य
न जीएंगे न जीने देंगे
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अजी छोड़िए
आप भी क्या मजाक करते हैं
दोस्त होकर दुश्मनों सा काम करते हैं।
एक तो जीने की बात करते हैं
ऊपर से जीने भी दें
मुफ्त में सलाह देते हैं।
अब मेरी सलाह सुनिए
चाहें तो एकाध खोखा ले लीजिए
न जिएंगे न जीने देंगे
दुश्मन तो खैर दुश्मन ही है,
दोस्तों को भी चैन से न रहने देंगे।
आप भी कान लगाकर जरा गौर कर लीजिए
मेरी बात मान भी लीजिए
देखिए बड़े प्यार से समझाता हूं
जीने जिलाने की बात न कीजिए
ये बात साफ साफ़ बताता हूं।
समझ में आ गया हो तो ठीक है
वरना उदाहरण देकर समझाता हूं,
आपके जीवन पर ब्रेक लगाता हूं
और खुद जेल यात्रा पर जाता हूं
जीवन का असली लुत्फ उठाता हूं।

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921