दोषारोपण कर ओरों पर
व्यक्ति कभी भी गलत न होता, गलत सदैव कारण होते हैं।
दोषारोपण कर ओरों पर, हम पाक साफ बन कर सोते हैं।।
छल, कपट, षडयंत्र करें नित।
संबन्धों के नाम पर, साधें हित।
स्वारथ की खातिर विश्वासघात कर,
अपने कह कर, करते हम चित।
गला काट कर लूट रहे हैं, फिर भी हम प्रेमी होते हैं।
दोषारोपण कर ओरों पर, हम पाक साफ बन कर सोते हैं।।
मर्यादा रिश्तों की टूटी।
पत्नी बनती हैं अब झूठी।
झूठे केस दहेज के करके,
जाने कितनों को हैं लूटी।
कानूनों से ठगी हैं करती, प्रेमी से संबन्ध होते हैं।
दोषारोपण कर ओरों पर, हम पाक साफ बन कर सोते हैं।।
नर नारी की अस्मत लूटे।
नारी केस करे अब झूठे।
रिश्ते हैं बाजार में बिकते,
दोनों के विश्वास हैं टूटे।
इक दूजे की हत्या करते, प्रेम के नाम खून होते हैं।
दोषारोपण कर ओरों पर, हम पाक साफ बन कर सोते हैं।।