नीति के दोहे मुक्तक
सुख -शांति
जिस घर गुस्सा वासना, मन में लालच होय.
उस घर नहि हो सुख शांति, यह जानत सब कोय..
शुभ काम
मर्यादित रखो भाषा, घर में हो शुभ काम.
आचरण रखो संयमित, खर्चो कुछ भी दाम..
—अशर्फी लाल मिश्र
सुख -शांति
जिस घर गुस्सा वासना, मन में लालच होय.
उस घर नहि हो सुख शांति, यह जानत सब कोय..
शुभ काम
मर्यादित रखो भाषा, घर में हो शुभ काम.
आचरण रखो संयमित, खर्चो कुछ भी दाम..
—अशर्फी लाल मिश्र
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किसी भी शुभ काम में व्यक्ति को अपना आचरण मर्यादित रखना चाहिए.