पद्य साहित्यमुक्तक/दोहा

नीति के दोहे मुक्तक

सुख -शांति 

जिस  घर   गुस्सा   वासना, मन  में  लालच  होय.

उस घर नहि हो सुख शांति, यह जानत सब कोय..

शुभ काम 

मर्यादित  रखो  भाषा, घर में हो शुभ काम.

आचरण रखो संयमित, खर्चो कुछ भी दाम..

अशर्फी लाल मिश्र 

अशर्फी लाल मिश्र

शिक्षाविद,कवि ,लेखक एवं ब्लॉगर

One thought on “नीति के दोहे मुक्तक

  • अशर्फी लाल मिश्र

    किसी भी शुभ काम में व्यक्ति को अपना आचरण मर्यादित रखना चाहिए.

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