कुशल शिकारी हो तुम प्यारी!
धोखे की हो, पुतली सुंदर, प्रेम कपट, ये याद रहेगा।
कुशल शिकारी हो तुम प्यारी! शिकार बने हम, याद रहेगा।।
कपट का प्रेम, गजब का नाटक।
तोड़ दिया है, दिल का फाटक।
रिश्तों को भी, व्यापार बनाकर,
कानूनी जाल बुन, वसूला हाटक।
लुटने का कोई दुःख नहीं हमको, वार! तुम्हारा याद रहेगा।
कुशल शिकारी हो तुम प्यारी! शिकार बने हम, याद रहेगा।।
नहीं चाहिए, कुछ भी हमको।
धन-दौलत मिल जाए तुमको।
मौत को हँसकर गले लगाए,
प्रेमी तुम्हारा मिल जाए तुमको।
मुफ्त का धन, हो तुम्हें मुबारक! यार! तुम्हारा याद रहेगा।
कुशल शिकारी हो तुम प्यारी! शिकार बने हम, याद रहेगा।।
कदम परे ना कभी हटाना।
बिना किए, सारे सुख पाना।
रिश्तों की लाशों पर हँसकर,
प्रेम गान, प्रिये तुम गाना।
झूठ को सच, हो कैसे बनातीं? हार! तुम्हारा याद रहेगा।
कुशल शिकारी हो तुम प्यारी! शिकार बने हम, याद रहेगा।।
जाति बदल, हैसियत बदली।
धोखे से है, कैफियत बदली।
विश्वास का खून यूँ करके,
निशाप्रिये! खैरियत बदली।
नहीं हो केवल, रंग की काली, सार! तुम्हारा याद रहेगा।
कुशल शिकारी हो तुम प्यारी! शिकार बने हम, याद रहेगा।।