गीत/नवगीत

बेटी

*ईश्वर का वरदान है बेटी*

ईश्वर का वरदान है बेटी ।
दो कुल की पहचान है बेटी।

प्रीत भरी रसवंती गागर लहराता है उर में सागर
बिन बेटी चहके न आंगन
आंगन का अरमान है बेटी ।
ईश्वर का ——–

राखी का है कोमल धागा
हर रिश्तों को इसने पागा
सबकी इच्छा भाव समझती
सहज सरल मुस्कान है बेटी।
ईश्वर का ——-

बेटी में है सृष्टि समाई
बेटी है भीनी अमराई
बेटी बिन त्योहार अधूरे
शान और अभिमान है बेटी।
ईश्वर का —–

बाबुल के दिल की है धड़कन
माँ की छाया माँ का दरपन
भाई के जीवन का गहना
प्रीत भरा सम्मान है बेटी ।
ईश्वर का ——–

मंजूषा श्रीवास्तव’मृदुल’
लखनऊ , उत्तर प्रदेश

*मंजूषा श्रीवास्तव

शिक्षा : एम. ए (हिन्दी) बी .एड पति : श्री लवलेश कुमार श्रीवास्तव साहित्यिक उपलब्धि : उड़ान (साझा संग्रह), संदल सुगंध (साझा काव्य संग्रह ), गज़ल गंगा (साझा संग्रह ) रेवान्त (त्रैमासिक पत्रिका) नवभारत टाइम्स , स्वतंत्र भारत , नवजीवन इत्यादि समाचार पत्रों में रचनाओं प्रकाशित पता : 12/75 इंदिरा नगर , लखनऊ (यू. पी ) पिन कोड - 226016