मुक्तक/दोहा मुक्तक डॉ. अ. कीर्तिवर्द्धन 29/04/2022 मुस्कुराते चेहरे में छिपे दर्द को पहचान लेते हैं, हवा के रुख़ से मौसम का मिज़ाज भाँप लेते हैं। लबों से कही हर बात सच नहीं होती, जानते हैं, तेरी नज़रों-अदाओं से, हाल ए दिल जान लेते हैं। — अ कीर्ति वर्द्धन