है लगा अभी वैशाख
है लगा अभी वैशाख,
दिनकर उगल रहा है आग.
पशु पक्षी सब ढूढ़े छाया,
सभी लगाये भागम भाग..
पश्चिम मारुत ऐसे बहता,
मानो मारुत मारै चाटा.
कोई गश खाकर भूमि पड़ा,
कोई छोड़े जीवन नाता..
—अशर्फी लाल मिश्र
है लगा अभी वैशाख,
दिनकर उगल रहा है आग.
पशु पक्षी सब ढूढ़े छाया,
सभी लगाये भागम भाग..
पश्चिम मारुत ऐसे बहता,
मानो मारुत मारै चाटा.
कोई गश खाकर भूमि पड़ा,
कोई छोड़े जीवन नाता..
—अशर्फी लाल मिश्र
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वैशाख मास की गर्मी से लोग बेहाल.