कविता

प्रेम

प्रेम जग में है महान
क्या दानव क्या इन्सान
सब के दिल में है एक मान
प्रेम के वश में भी भगवान

अंकुर हो जब दिल में प्यार
मिले मोहब्बत का उपहार
प्रेम सौरभ से महका संसार
प्रेम है जीवन का एक सार

दिल से जब दिल का हो मिलन
ना होता है कोई मन में जलन
दो दिल में लग जाता अगन
प्रेमी मिलने का करता है जतन

प्रेम से है जग ना अनजाना
प्रेम का हर कोई है दीवाना
लैला मजनूँ से भरा इतिहास
हर दिल में है प्रेम का   वास

आओ प्रेम का चमन लगायें
प्रेम भाव को हम उपजायें
क्या हिन्दू क्या है मुसलमान
प्रेम के वश में सारा इन्सान

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088