भरोसा
भरोसा वो रास्ता है
जिस पर चलकर
मंजिलें मिलती है
उजड़ वीराने में भी
उम्मीदों के फूल खिलाती है
उबड़ खाबड़-सी जिंदगी को
समतल सतह मिलती है
शैलाब में भी
तिनको की कस्ती मिलती है
तपते रेगिस्तान में
हरियाली की छांव मिलती है
सूखे दरख्तो को
ठंडी फुहार मिलती है
चाहे लोग कुछ भी कहें
भरोसा से हर किसी को
मंजिलें मिलती है।
— विभा कुमारी “नीरजा”