कविता

भरोसा

भरोसा वो रास्ता है
जिस पर चलकर
मंजिलें मिलती है
उजड़ वीराने में भी
उम्मीदों के फूल खिलाती है
उबड़ खाबड़-सी जिंदगी को
समतल सतह मिलती है
शैलाब में भी
तिनको की कस्ती मिलती है
तपते रेगिस्तान में
हरियाली की छांव मिलती है
सूखे दरख्तो को
ठंडी फुहार मिलती है
चाहे लोग कुछ भी कहें
भरोसा से हर किसी को
मंजिलें मिलती है।
— विभा कुमारी “नीरजा”

*विभा कुमारी 'नीरजा'

शिक्षा-हिन्दी में एम ए रुचि-पेन्टिग एवम् पाक-कला वतर्मान निवास-#४७६सेक्टर १५a नोएडा U.P