भारतीय संस्कारों की सरिता, महान परंपरा
वैश्विक स्तरपर आज भारतीय संस्कारों की सरिता, महान परंपरा, भारतीय सभ्यता, वैचारिक अधिष्ठान रूपी आवाज़ अब केवल भारत की सीमाओं तक ही सीमित नहीं है, यह विश्व भर में फैल रहे हैं और पूरे विश्व को जोड़ रहे हैं इसका एहसास हमें अब होने लगा है, क्योंकि जब हमने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और टीवी चैनलों पर भारत के पीएम के अनेक विदेश दौरों में देखा कि किस तरह वहां पीढ़ियों से बसें भारतीय मूल के लोगों के दिल में उनके पुरखों द्वारा भारत से लाए लोकतांत्रिक मूल्यों, कर्तव्यों से संस्कारों की सरिता का प्रत्यक्ष प्रमाण दिखा जब वे भारतीय पीएम के प्रति इतनी उत्सुकता और अपनी पुरखों की मिट्टी से कोई उनके देश आता है तो उनके दिल के कोने से करोड़ों खुशियों के फव्वारे होते हैं यह हम देखते आ रहे हैं।
बात अगर हम भारतीय मूल के व्यक्ति की परिभाषा की करें तो यह ऐसा व्यक्ति जिसका कोई पूर्वज भारतीय नागरिक था और जो वर्तमान में अन्य देश की नागरिकता या राष्ट्रीयता धारण करता है/करती है। इन लोगों के पास उसी देश का पासपोर्ट होता है। चूंकि इन लोगों के पास विदेशी पासपोर्ट होता है।
बात अगर हम भारतीय मूल के व्यक्तियों की गाथा की करें तो कल्पना चावला कमला हैरिस के काम और नाम तो हम जानते ही हैं इसके अलावा,अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ और नासा के वैज्ञानिक कमलेशलुल्ला अमेरिकी स्वतंत्रता दिवस से पहले एक प्रतिष्ठित अमेरिकी फाउंडेशन की तरफ से सम्मानित किए गए उन 34 अप्रवासियों में से हैं, जिन्होंने अपने योगदान और कार्यों के माध्यम से अमेरिकी समाज और लोकतंत्र को समृद्ध और मजबूत किया है। गोपीनाथ और लुल्ला न्यूयॉर्क के कार्नेगी कॉरपोरेशन की तरफ से नामित ‘2021 ग्रेट इमिग्रेंट्स (महान प्रवासी) की लिस्ट में शामिल हैं।ये एक गैर सरकारी संगठन है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भारतीय समुदाय का दबदबा कायम रखते हुए भारतीय मूल के छह किशोरों ने अमेरिका का प्रतिष्ठित डेविडसन फेलो स्कॉलरशिप हासिल कर ली है। सिंगापुर में भारतीय मूल के सीनियर सेल्स एग्जीक्यूटिव शक्तिबालन बालथंडौथम को अपने लीवर का एक हिस्सा एक साल की बच्ची को दान करने के लिए “द स्ट्रेट्स टाइम्स सिंगापुरियन ऑफ द ईयर 2021” का पुरस्कार मिला है, जिससे वह पहले कभी नहीं मिले थे। अमेरिका में मिडिल स्कूल के छात्रों के लिए आयोजित होने वाली एक प्रमुख विज्ञान और इंजीनियरिंग प्रतियोगिता में भारतीय मूल के बच्चों ने शीर्ष स्थान प्राप्त किया है। प्रतियोगिता के पांच विजेताओं में भारतीय मूल के चार बच्चे शामिल हैं, जिसमें 14 वर्षीय भारतीय मूल के लड़के ने प्रतियोगिता में शीर्ष पुरस्कार प्राप्त किया है।
बात अगर हम भारतीय संस्कृति की करें तो भारतीय संस्कृति व सभ्यता विश्व की सर्वाधिक प्राचीन एवं समृद्ध संस्कृति व सभ्यता है। इसे विश्व की सभी संस्कृतियों की जननी माना जाता है। जीने की कला हो, विज्ञान हो या राजनीति का क्षेत्र भारतीय संस्कृति का सदैव विशेष स्थान रहा है।अन्य देशों की संस्कृतियाँ तो समय की धारा के साथ-साथ नष्ट होती रही हैं किंतु भारत की संस्कृति व सभ्यता आदिकाल से ही अपने परंपरागत अस्तित्व के साथ अजर-अमर बनी हुई है। पूरे विश्व में भारत अपनी संस्कृति और परंपरा के लिये प्रसिद्ध देश है। ये विभिन्न संस्कृति और परंपरा की भूमि है। भारत विश्व की सबसे पुरानी सभ्यता का देश है।
भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण तत्व अच्छे शिष्टाचार, तहज़ीब, सभ्य संवाद, धार्मिक संस्कार, मान्यताएँ और मूल्य आदि हैं। अब जबकि हरेक की जीवन शैली आधुनिक हो रही है, भारतीय लोग आज भी अपनी परंपरा और मूल्यों को बनाए हुए हैं। विभिन्न संस्कृति और परंपरा के लोगों के बीच की घनिष्ठता ने एक अनोखा देश, भारत बनाया है। अपनी खुद की संस्कृति और परंपरा का अनुसरण करने के द्वारा भारत में लोग शांतिपूर्णं तरीके से रहते हैं।बात अगर हम भारतीय संस्कृति के प्रमुख विशेषताओं की करें तो ,(1)आध्यात्मिकता एवं भौतिकता का समन्वय, (2)- सम्मानता- सम्भाव का होना,(3)- अनेकता में एकता की शक्ति , (4)- भारत माता का हित एवं उन्नति-तरक्की की सोच (5)- ग्रहणशीलता-उत्सवों की प्रांगणता (6)- शास्त्रों की महानता, व उपयोगिता, (7)- विविधता- प्राचीनता(8)-भावनाएँ-विश्वास- परम्पराएं, (9)- गतिशीलता- निरंतरता, (10)- लचीलापन एवं सहिष्णुता,(11)- वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना,(12)- जीवों का संरक्षण, सभी प्राणियों के हितैषी, (13)- लोकहित और विश्व-कल्याण, (14)- पर्यावरण संरक्षण,(15)- नारियों का सम्मान व उत्थान।
बात अगर हम माननीय पीएम द्वारा दिनांक,1 मई 2022 को एक कार्यक्रम में संबोधन की करें तो पीआईबी के अनुसार उन्होंने कहा, एक भारतीय दुनिया में कहीं भी रहे, कितनी ही पीढ़ियों तक रहे, उसकी भारतीयता, उसकी भारत के प्रति निष्ठा, लेश मात्र भी कम नहीं होती। वो भारतीय जिस देश में रहता है पूरी लगन और ईमानदारी से उस देश की भी सेवा करता है। जो लोकतांत्रिक मूल्य,जो कर्तव्यों का ऐहसास उसके पुरखे भारत से ले गए होते हैं, वो उसके दिल के कोने में हमेशा जीवंत रहते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि भारत एक राष्ट्र होने के साथ ही एकमहान परंपरा है, एक वैचारिक अधिष्ठान है, एक संस्कार की सरिता है।भारत वो शीर्ष चिंतन है- जो ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की बात करता है। भारत दूसरे के नुकसान की कीमत पर अपने उत्थान के सपने नहीं देखता। भारत अपने साथ सम्पूर्ण मानवता के, पूरी दुनिया के कल्याण की कामना करता है। इसीलिए, कनाडा या किसी भी और देश में जब भारतीय संस्कृति के लिए समर्पित कोई सनातन मंदिर खड़ा होता है, तो वो उस देश के मूल्यों को भी समृद्ध करता है। इसलिए,आप कनाडा में भारत की आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाते हैं, तो उसमें लोकतन्त्र की साझी विरासत का भी सेलेब्रेशन होता है। और इसलिए, मैं मानता हूँ, भारत की आज़ादी के अमृत महोत्सव का ये सेलिब्रेशन कनाडा के लोगों को भी भारत को और नजदीक से देखने समझने का अवसर देगा।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारतीय संस्कारों की सरिता, महान परंपरा विदेशों में बसे भारतीयों के दिल में उनके पुरखों द्वारा भारत से लाए लोकतांत्रिक मूल्यों,कर्तव्यों संस्कारों की सरिता हमेशा जीवंत पर रहती है तथा वैश्विक स्तरपर भारत की प्रतिष्ठा शीर्ष स्तरपर पहुंचाने में भारतीयों, भारतीय मूल के सभी लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका है।
— किशन सनमुखदास भावनानी