ईद मुबारक
है चमका चांद बरकत का , मुबारक ईद हो तुमको ।
नज़ारा हर तरफ महका ,मुबारक ईद हो तुमको ।
फले हर ख्वाब आंखों का ,नहीं हो आंख नम कोई ।
मिटे नफरत का अंधियारा ,मुबारक ईद हो तुमको।
नहीं कोई ख़िलाफ़त हो ,लबों पर मुस्कुराहट हो।
मिले उल्फ़त का नज़राना , मुबारक ईद हो तुमको ।
दुआ हो खैर मक़दम हो ,न दहशत रंजिशें कोई ।
नहीं हो भेद मज़हब का ,मुबारक ईद हो तुमको ।
गिले शिकवे मिटा कर हम, आ बांटें प्यार की ईदी ।
“मृदुल” छा जाए मोहकता , मुबारक ईद हो तुमको ।
मंजूषा श्रीवास्तव” मृदुल”