राजनीति

धरती का स्वर्ग जम्मू कश्मीर

बचपन से हम बड़ेबुजुर्गों बुद्धिजीवियों महात्माओं से सुनते और बाल्यकाल से ही किताबों में पढ़ते आ रहे हैं कि धरती पर एक स्वर्ग, जन्नत है तो वह जम्मू कश्मीर है, बस, फिर क्या मस्तिष्क में आ ही जाता है कि जन्नत की सैर कर लें। वैसे तो हम दादा-दादी नाना-नानी बुजुर्गों से स्वर्ग-नरक जन्नत-जहन्नम के किस्से कहानियां सुनते ही आ रहे हैं परंतु यह मानव जीवन जब त्यागा जाता है तो फिर कर्मों के अनुसार जन्नत-जहन्नम स्वर्गनरक के द्वार से वहां जा सकते हैं ऐसा ही बताया जाता है परंतु यहां तो जीते जी ही स्वर्ग के दर्शन हो रहे हैं, यहां नर्क जहन्नुम का नामोनिशान नहीं है फिर तो स्वाभाविक रूप से ही हर व्यक्ति इस स्वर्ग में जाना पसंद करेगा। बात अगर हम धरती के स्वर्ग -जन्नत जम्मू-कश्मीर (जेके) की करें तो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में जानकारी के अनुसार वहां बहुत ही सुख शांति अमन चैन था। परंतु 1990 के दशक से वहां की स्थितियां, परिस्थितियां बदली और बदलते चली गई जातिवाद की पराकाष्ठा, दंगे, पलायन का मंजर याद कर, 1947 के मंजर की व्यथा बुजुर्गों को याद आती है ख़ैर, उनमें हम अभी ना जाकर हम हमारे स्वर्ग दर्शन, भ्रमण का रास्ता के तीव्र गति से बढ़ते चरणों की बात करें तो खुशियों की महक आएगी।
बात अगर हम स्वर्ग के निर्बाध खुलते चरणों की करें तो आर्टिकल 370 हटने के बाद यह साफ़ हो गया था कि चरणों का क्रम तीव्रता से बढ़ेगा। हमने देखे क कि पीएम महोदय ने भी उसके बाद पहली बार अभी दौरा किया और अब परिसीमन आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट दिनांक 5 मई 2022 को हस्ताक्षर कर जारी कर दी गई है। हालांकि मार्च 2020 में एक जस्टिस (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता में बनाई गई कमेटी के कार्यकाल में दो बार वृद्धि की गई, क्योंकि कोरोना काल त्रासदी की जबरदस्त लहर चली थी और अंतिम बार 6 मई 2022 तक कार्यकाल बढ़ाया गया था। अब रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाएगी और विधानसभा चुनाव कराने का रास्ता साफ हो गया है, अब शीघ्र ही हमें जम्मू कश्मीर में चुनाव का बिगुल सुनाई देगा, उम्मीद कर सकते हैं कि अक्टूबर से दिसंबर तक या अमरनाथ यात्रा के बाद चुनाव होने की संभावना है।
बात अगर हम परिसीमन आयोग की रिपोर्ट की करें तो मीडिया के अनुसार, जम्मू कश्मीर विधानसभा की प्रस्तावित तस्वीर कुल सीटें: 90, कश्मीर संभाग : 47,जम्मू संभाग: 43, अनुसूचित जाति: 07 अनुसूचित जनजाति : 09, यानी हम कह सकते हैं, आयोग ने केंद्र शासित प्रदेश में सीटों की संख्या 83 से बढ़ाकर 90 करने का प्रस्ताव दिया है। साथ ही पहली बार अनुसूचित जनजातियों के लिए 9 सीटों को रिजर्व करने कहा है। इनमें से 43 सीटें जम्मू और 47 सीटें कश्मीर में रहेंगी। इसके पहले 83 सीटों में 37 जम्मू और 46 कश्मीर में थीं। उल्लेखनीय है कि 2018 से ही जम्मू-कश्मीर में निर्वाचित सरकार गठित नहीं है हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा था परिसीमन प्रक्रिया पूर्ण होते ही जेके में चुनाव होंगे।
बात अगर हम अब जेके में सीटों के गणित की करें तो, 5 अगस्त 2019 से पहले जम्मू -कश्मीर विधानसभा में कुल 111 सीटें थीं। इनमें से 46 कश्मीर में, 37 जम्मू में, 4 लद्दाख में थीं। पड़ोसी मुल्क के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के लिए 24 सीटें रिजर्व रखी गई हैं। अभी तक जम्मू-कश्मीर विधानसभा की 87 सीटों पर चुनाव होते रहे।
अलग केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद लद्दाख की 4 सीटों को हटा दिया गया है। इस तरह विधानसभा की कुल 83 सीटें बची हैं। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन एक्ट 2019 के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 7 सीटें बढ़ाई जाएंगी।
बात अगर हम आयोग की सिफारिशों के प्रभाव की करें तो, केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद चुनाव आयोग वोटर लिस्ट तैयार करने की कार्रवाई शुरू कर देगा। जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग के अनुसार लोकसभा की पांच सीटों में दो-दो सीटें जम्मू और कश्मीर संभाग में होंगी जबकि एक सीट दोनों के साझा क्षेत्र में होंगी। यानें आधा इलाका जम्मू संभाग का और आधा कश्मीर घाटी का हिस्सा होगा। इसके अलावा दो सीटें कश्मीरी पंडितों के लिए भी रिजर्व रखी गई हैं। अनंतनाग और जम्मू के राजौरी और पुंछ को मिलाकर एक संसदीय क्षेत्र बनाया गया है।
बात अगर हम जेके में अब चुनाव की करें तो, जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव अक्तूबर-दिसंबर तक हो सकते हैं। केंद्रीय गृहमंत्री ने फरवरी में कहा था कि परिसीमन की प्रक्रिया जल्द पूरी होने वाली है। अगले छह से आठ महीने में विधानसभा के चुनाव होंगे। इसमें किसी प्रकार का कोई संदेह नहीं है। माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव अमरनाथ यात्रा के बाद कराना ज्यादा मुफीद माना जा रहा है क्योंकि यात्रा की सुरक्षा व्यवस्था के लिए केंद्रीय बल प्रदेश में मौजूद रहेंगे। चुनाव में सुरक्षा व्यवस्था के लिए अतिरिक्त तामझाम नहीं करना होगा। ऐसा विचार मीडिया में आया है।
बात अगर हम परिसीमन आयोग की करें तो, ये हैं आयोग के सदस्य जस्टिस (सेवानिवृत्त) रंजना देसाई के नेतृत्व में गठित इस पैनल में मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा और जम्मू-कश्मीर के राज्य चुनाव आयुक्त इसके पदेन सदस्य हैं। परिसीमन आयोग ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट सहयोगी सदस्यों को 4 फरवरी को सौंपी थी। फरवरी 2022 में आयोग को काम पूरा करने के लिए दो महीने का विस्तार दिया गया था। वरना आयोग की समय सीमा 6 मार्च को समाप्त हो गई थी।
यह विशेष उल्लेखनीय है कि, केंद्र शासित प्रदेश का पिछला परिसीमन 1995 में हुआ था। जहां पैनल को अपनी रिपोर्ट देने में सात साल का समय लगा था। जबकि मौजूदा आयोग को कोरोना वायरस महामारी के बावजूद अपना काम पूरा करने में दो साल से थोड़ा ज्यादा समय लगा। मार्च 2020 में बनी इस पैनल को 2021 में एक साल का विस्तार दिया गया था।
 बात अगर हम परिसीमन की व्याख्या और मतलब को समझने की करें तो, क्या होता है परिसीमन ? विधायी निकाय वाले क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा तय करने की प्रक्रिया परिसीमन कहलाती है। परिसीमन का काम किसी उच्चाधिकार निकाय को दिया जाता है। केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद प्रदेश में एक बार फिर परिसीमन के लिए आयोग बनाया गया है। इस बार सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में परिसीमन आयोग का गठन किया गया है।
जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार परिसीमन 1995 में हुआ था। उस समय जम्मू-कश्मीर में 12 जिले और 58 तहसीलें हुआ करती थीं। वर्तमान में प्रदेश में 20 जिले हैं और 270 तहसील हैं। पिछला परिसीमन 1981 की जनगणना के आधार पर हुआ था। इस बार परिसीमन आयोग 2011 की जनगणना के आधार पर परिसीमन का काम कर रहा है।
परिसीमन में इन चीजों का ख्याल रखा जाता है,विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन में जनसंख्या मुख्य आधार रहता ही है। इसके अलावा क्षेत्रफल, भौगोलिक परिस्थिति, संचार की सुविधा आदि पर भी गौर किया जा रहा है। जम्मू-कश्मीर में अब तक 1963, 1973 व 1995 में परिसीमन की प्रक्रिया हुई है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि धरती का स्वर्ग जम्मू कश्मीर। परिसीमन आयोग की रिपोर्ट जारी, विधानसभा चुनाव कराए जाने का रास्ता साफ, चुनाव का बिगुल शीघ्र सुनाई देगा, धरती के जन्नत पर हर नागरिक जाने को उत्सुक, अमन चैन से जन्नत की सैर का हर नागरिक का सपना पूरा होगा जो गर्व की बात है।
— किशन सनमुखदास भावनानी

*किशन भावनानी

कर विशेषज्ञ एड., गोंदिया