गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

कोई है, जो कि देखे इधर आईना ।
घूमता है शहर दर शहर आईना ।।

तेरे हर पल बदलते हुए रूप की
तुझको देता रहेगा ख़बर आईना।।

हर गली, मोड़ कमरे की दीवार से
रख रहा है यूँ तुम पर नज़र आईना।।

गो बदलते हुए दौर के साथ में
कर रहा है सफ़र दर सफ़र आईना।।

झूठ के साथ रहता नहीं है कभी
सच अयाँ है जिधर है उधर आईना।।

अयाँ- दिखाई देने वाला

दौलतराम प्रजापति

जन्म : 04/03/1975 शिक्षा : एम ए हिंदी साहित्य, राजनीति विज्ञान सम्प्रति : अध्यापन पता : वार्ड 05 कुम्हार गली सिरोंज रोड लटेरी जिला विदिशा मध्यप्रदेश पिन 464114 लेखन विधा :- ग़ज़ल, नवगीत, कविता, कहानी प्रकाशन :- दिव्य हिमाचल, जनाकांक्षा , शैल सूत्र आंचलिक जागरण , कला समय , लहक , एक नई सुबह , किस्सा कोताह , शुभ तारिका, सुबह सबेरे , प्रणाम पर्यटन, सुख़नवर, विभोम स्वर,विश्वगाथा,प्रेरणा अंशु, सोच विचार और अन्य पत्र पत्रिकाओं में प्रसारण :- आकाशवाणी भोपाल से । प्रकाशित पुस्तकें :-"दीया रोशन हुआ" ग़ज़ल संग्रह2018 :-नई इबारत (ग़ज़ल संग्रह)2020 :-नई संभावनाएं (नवगीत संग्रह)2020 :-आदमी जिंदा रहे (ग़ज़ल संग्रह)2022 सम्मान :- हिंदी साहित्य सम्मेलन मध्यप्रदेश भोपाल से प्रतिष्ठित "वागीश्वरी" पुरुस्कार 2018 "भगवान दास शर्मा स्मृति" सम्मान और "सरस्वती प्रभा" सम्मान प्रभात साहित्य परिषद भोपाल से मोबाइल। :-9893388470 Email:- [email protected]