राजनीति

देश मेें चर्चा का केंद्र बिंदु बना योगी मॉडल

आजकल देश के कई राज्यों विशेषकर जहां भाजपा शासित सरकारें हैं और फिर उसके बाद जिन राज्यों में भाजपा विरोधी सरकारे हैं,हर जगह योगी माडल चर्चा में आ गया है। मध्यप्रदेश के खरगौन से लेकर राजस्थान,महाराष्ट्र और देश की राजधानी दिल्ली तक में बुलडोजर, लाउडस्पीकर, सडक पर अजान को लेकर खूब राजनीति हो रही है। वहीं उत्तर प्रदेश का योगी माडल अब पूरे भारत में लोकप्रिय हो रहा है तथा देश के कई राज्यों में योगी माडल को लागू करने की मांग की जाने लग गयी है। भाजपा शासित राज्यों में तो योगी माडल धीरे- धीरे लागू होने लग गया है लेकिन राजस्थान से लेकर महाराष्ट्र और दिल्ली बिहार जैसे राज्यों में मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाले शासक दल खुलकर विरोध कर रहे हैं और इसे मुस्लिम समाज पर घोर अत्याचार बताकर मुस्लिम समाज को भड़काने का काम कर रहे हैं लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सधे हुए कदमों के कारण आज सभी प्रकार का अवैध काम अब न्यायपालिका के दिशा निर्देशों के अनुरूप जमींदोज हो रहा है।
आज प्रदेश में वह सभी काम शांति के साथ संपन्न हो रहे हैं जिनकी कभी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। आज प्रदेश में हर धर्म के लोग अपने पर्वों को शांति के साथ मना रहे हैं। प्रदेश में सभी धर्माें व आस्था का सम्मान किया जा रहा है लेकिन किसी को भी धर्म व आस्था का भाैंडा प्रदर्शन करने का अधिकार भी नहीं दिया जा रहा है। प्रदेश के इतिहास में पहली बार मंदिरांे और मस्जिदांे से लाउडस्पीकर को या तो उतार दिया गया है या फिर उनकी आवाज को सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के अनुरूप कम कर दिया गया है। प्रदेश में धार्मिक स्थलांे पर लगे हुए अवैध लाडडस्पीकरांे के लिए चलाये गये एक सप्ताह के विशेष अभियान में कानून का पालन करते हुए एक लाख से अधिक लाउडस्पीकर उतरवाये गये या फिर उनकी ध्वनि कम की गई। ऐसा पहली बार हुआ कि जब ऐसे अभियान में पुलिस को कहीं भी विरोध का सामना नहीं करना पड़ा। मस्जिद मंदिर गुरूद्वारा हर जगह धर्म गुरूओं को विश्वास में लेकर नियम व कानून का पालन कराया गया।
प्रदेश में यह एक वृहद अभियान था इसमें हर धर्म, जाति, वर्ग और समुदाय के लोगांे ने पूरा सहयोग किया। अभियान के दौरान 47,473 लाउस्पीकर उतरवाए गये और 59, 323 की आवाज कम कराई गयी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस अभियान की सफलता की सराहना पूरे देश में हो रही है। महाराष्ट्र में महाराष्ट्र नवनिर्माणसेना के राज ठाकरे ने योगी जी की बहुत सराहना करते हुए उन्हें बधाई दी और कहा कि दुर्भाग्य से आज महाराष्ट्र में कोई योगी नहीं अपितु सभी भोगी हैं। नई दिल्ली के सभी नगर निगम भी बुलडोजर चलाने लग गये हैं वहीं दिल्ली के सांसदों ने उपराज्यपाल को पत्र लिखकर दिल्ली की मस्जिदों से भी लाउडस्पीकर हटाने व आवाज कम करने की मांग की गयी है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार जो कि इफ्तार राजनीति के पोस्टर ब्वॉय बन चुके हैं उन्होंने बुलडोजर,समान नागरिक संहिता, लाउडस्पीकर आदि का विरोध भी शुरू कर दिया है।
उत्तर प्रदेश में लाउडस्पीकर हटाओ व आवाज कम करो अभियान को इसलिए सफलता मिल रही है क्योकि सभी समुदायों और उनके धर्मगुरूओं का सहयोग मिल रहा है। अभियान चलाने के पूर्व सभी को विश्वास में लिया गया। प्रदेश सरकार 2005 में सुप्रीम कोर्ट की ओर से जो दिशा निर्देश दिये गये थे उन्हीं को धरातल पर उतार रही है। यह अभियान चलाने के पहले 29 हजार 808 धर्मगुरूओं से वार्ता की गयी और कुल मिलाकर 1 लाख 22 हजार लाउडस्पीकर उतरवाये गये और 42 हजार 332 से अधिक की आवाज भी कम की गयी है।
प्रदेश के प्रगतिशील मुस्लिमों का भी सरकार को भरपूर सहयोग मिल रहा है। जमात- उलेमा- ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना सुहेब कासमी कहते हैं कि पूरी दुनिया प्रदूषण से परेशान है चाहे हवा में हो या कुछ और यह कम होना चाहिए। वैसे भी लाडस्पीकर की तेज आवाज से हर किसी को परेशानी होती ही है। यह एक सामाजिक मुददा है, यह धार्मिक नहीं है। महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों व बीमार लोगांे को परेशानी होती है। जब कोई नाइट डयूटी करके आता है और वह सुबह शांति के साथ सोना चाहता है तब किसी भी धर्म का लाउडस्पीकर अपनी तेज आवाज के ंकारण उसकी नींद पर गहरा असर करता है। बहुत से छात्र सुबह उठकर पढ़ाई करते हैं उस समय भी यदि लाउडस्पीकर तेज आवाज में बजता है तो उसकी पढ़ाई की एकाग्रता में भी खलल पढ़ता है। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय संयोजक अफजाल अहमद का कहना है कि धर्म तभी कामयाब होता है जब दूसरों को तकनीफ न पहंुचे।
इसी प्रकार प्रदेश के इतिहास में पहली बार रमजान व ईद के अवसर पर कहीं भी ईद की नमाज सड़कांे पर नहीं अदा की गयी है। ़यह योगी माडल की एक बहुत बड़ी ऐतिहासिक सफलता है। साथ ही प्रदेशभर में ईद के दिन अक्षय तृतीया, परशुराम जयंती का पर्व भी आपसी सदभाव के साथ मनाया गया। जबकि उसी दिन राजस्थान के जोधपुर में साम्प्रदायिक हिंसा हो गयी और कर्फ्यू तक लगाना पड़ गया। मुख्यमंत्री योगी के आहवान पर पूरे प्रदेश में कहीं भी यातायात बाधित कर सड़कों पर ईद की नमाज अदा नहीं की गयी।
हापुड़ और (लोनी) गाजियाबाद सहित कई क्षेत्रों में जहां मस्जिद और ईदगाहों में जगह कम पड़ी वहां अलग- अलग शिफ्ट मंे लोगांे ने नमाज पढ़ी। विगत वर्षो में 50 हजार से एक लाख तक लोग सडकों पर नमाज पढ़ते थे। प्रदेश के बड़े मुस्लिम बहुल जिलांे मंे भी नमाज सड़क पर नहींे पढ़ी गयी।प्रदेश में ज्यादातर नमाज मस्जिद, पार्को मंे अदा की गयी। सड़को का इस्तेमाल नमाज अदा करने के लिए नहीं किया गया। प्रदेश से कहीं भी किसी भी प्रकार के तनाव की खबर नहीं आयी। मेरठ में पहले तनाव होता था लेकिन वहां पर शांति के साथ नमाज अदा की गयी। मथुरा, वाराणसी और लखनऊ, रामपुर, बरेली सहित सभी जगहांे पर मुस्लिम समाज ने कहीं भी सडक पर नमाज अदा नहीं की। ईद ही नहीं अलविदा के नमाज के समय में भी ऐसी ही अभूतपूर्व स्थ्तिि देखी गई थी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने टिवट कर कहा कि ईद के अवसर पर आज पूरे प्रदेश में कहीं भी सड़कांे पर नमाज नहीं पढ़ी गई। जहां स्थान का अभाव रहा वहां शिष्टाचार नमाज हुई। एक अच्छी पहल को प्रदेशवासियों ने सहर्ष स्वीकार किया है। धर्मगुरूआंे ने आगे आकर लोगों का मार्गदर्शन किया। इसके लिए सभी का अभिनन्दन। स्वस्थ समाज के लिए लोगोें की आस्था का सम्मान व कानून का शासन साथ- साथ चलेगा। यह काम इतना आसान नहीं था लेकिन यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के काम करने का ही तरीका है कि वह अगर फैसला कर लेते हैं तो वह हर स्थिति को आगे बढ़कर लागू करवाते और उसकी मानीटरिंग करते रहते हैं। तभी आज सरकार सफल हो रही हैं।
एक ओर जहां सरकार ने सफलतापूर्वक यह सभी काम सफलतापूर्वक पूरे कर दिखाएं वहीं दूसरी ओर प्रदेश के तथाकथित सेकुलर दलों को सरकार व समाज की ओर से चलाये जा रहे स्वस्थ अभियान भी पसंद नहीं आ रहे हैं। इन सभी दलों को यह लगने लग गया है कि ऐस तो प्रदेश में उनकी राजनीति का बंटाधार ही हो जायेगा और अस्तित्व पर ही सवाल उठने लग जायंेेगे। यही कारण है सपा गठबंधन में शामिल सुभासपा के ओमप्रकाश राजभर ने मुस्लिम समाज को भड़काने के लिए बयान दिया है कि नमाज तो केवल दो मिनट की होती है केवल दो मिनट से ही सड़क पर कब्जा नहीं हो जाता। यह है सेकुलर जमात की विकृत सोच। इन दलांे की विकृत सोच का ही परिणाम है कि आज राजस्थान से लेकर महाराष्ट्र तक हिंदू पर्वो पर भी हिंसा हो रही है और ईद के दिन भी तुष्टिकरण के कारण दंगे हो रहे हैं।
दूसरे कार्यकाल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बहुत ही सधे कदमों के साथ अपनंे कदम आगे ब़ढा रहे हैं और वह प्रदेश का कायाकल्प करने का अभियान चला रहे हैं। प्रदेश में बहुत जल्द ही समान नागरिक संहिता लागू होने जा रही है और उसकी तैयारी भी सरकार की ओर से की जा रही है। प्रदेश सरकार में एकमात्र मुस्लिम मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने बयान दिया है कि समान नागरिक सहिंता के लाभ से मुस्लिम समाज को अवगत कराने के लिए पूरे प्रदेशभर में कौमी चौपाल लगायी जायेगी। प्रदेश सरकार को पता है कि समान नागरिक संहिता का मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाले राजनैतिक दल मुस्लिम समाज को भड़काने के लिये बयानबाजी करेंगे और माहौल खराब करने का पूरा प्रयास किया जायेगा लेकिन मुख्यमंत्री हर प्रकार से सतर्क हैं। मुख्यमंत्री के काम करने की रणनीति को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि वह अपनी पहले की छवि से निकलकर अब एक वृहद दायरे की राजनीति को साध रहे हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ में एक नयी छवि दिखलायी पड़ रही है। अब वह एक ऐसे नेता के रूप में उभर रहे हैं जो अनुशासित और निर्णायक होने के साथ -साथ समावेशी भी दिख रहे हैं। मुख्यमंत्री के निर्णयों से तो लग रहा है कि वह बिना किसी कानून का सहारा लिये ही प्रदेश में समान नागरिक संहिता को लागू कर रहे हैं। लाउडस्पीकर से लेकर सड़को पर अजान तक और फिर ईद व मेरठ में ईद व अक्षय तृतीया तथा परशुराम जयंती की आढ़ में जब साम्प्रदायिक सदभाव बिगाडने का प्रयास अराजक तत्वों द्वारा किया गया उस समय स्थानीय प्रशासन ने जिस प्रकार से कार्यवाही की गयी वह भी कााबिलेतारीफ ही कही जायेगी। आज प्रदेश में शांति का वातावरण बन रहा है लेकिन अभी भी कुछ अराजक तत्व रामराज्य में बाधक हैं और वह अपनी कोशिशों में लगे हुए हैं जिसमें ललितपुर व चंदौली की दुर्भाग्यपूर्ण घटना भी शामिल है लेकिन प्रशासन भी अपना काम कर रहा है। यही कारण है कि आज योगी मॉडल की चर्चा पूरे भारत में ही नहीं अपितु ब्रिटिश संसद तक में हो रही है।
— मृत्युंजय दीक्षित