ग़ज़ल
भूख पहले है कि है भगवान पहले
सोचकर बतलाइए श्रीमान पहले ।
पूज सकते पत्थरों को भी हैं लेकिन
पेट पूजा का जुरे सामान पहले।
बाद में हिंदू, मुसलमां, सिख , ईसाई
दोस्तो हम लोग हैं इन्सान पहले ।
कौन दुनिया में धनी उससे ज़ियादा ?
ढूंढता हर शै में जो ईमान पहले ।
ख़ूं से जब लथपथ धरा हो , सोचना तब
ज्ञान पहले है कि है विज्ञान पहले ।
हौसला भी है , जुनूं भी, जोश भी है
पर, गुज़र जाने दो यह तूफ़ान पहले ।
रंक हो, राजा हो , बच्चा हो या बूढ़ा
चाहता हर कोई है सम्मान पहले ।
जान भी मेरी चली जाए तो क्या है?
हो सुरक्षित मेरा हिन्दुस्तान पहले ।
— डॉ डी एम मिश्र