कविता

लौट के आना…

मातृ-दिवस पर माँ को समर्पित एक रचना

माँ ब्रह्मा सी जन्मदात्री
माँ विष्णु सी पालन कर्ता
माँ शंकर सी भोली भाली
माँ गलतियों की संहर्ता
माँ तेरे आँचल से अच्छा
और नहीं कोई सिंहासन
तेरी सर परस्ती में माँ
कानन भी लगता है आँगन
मिट गया सानिध्य तुम्हारा
अब जग सारा लगे विराना
करूँ प्रतिक्षा हर पल तेरी
माँ फिर से तुम लौट के आना…
— व्यग्र पाण्डे

विश्वम्भर पाण्डेय 'व्यग्र'

विश्वम्भर पाण्डेय 'व्यग्र' कर्मचारी कालोनी, गंगापुर सिटी,स.मा. (राज.)322201