गज़ल
हुक्मअदूली कर लेकिन थोड़ी फरमाबरदारी रख,
जीने की ख्वाहिश है तो मरने की भी तैयारी रख,
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लंबे सफर में जितना कम सामान रहे उतना अच्छा,
जो भी है कह दे खुलके तू दिल पे बोझ ना भारी रख,
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खून-पसीना एक किए बिना कोई काम नहीं होता,
रब तो मदद करेगा ही खुद भी पर मेहनत जारी रख,
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साथ मुसीबत में जो देता है हमदर्द वही असली,
सुख में शामिल हो या ना हो दुख में हिस्सेदारी रख,
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सीख लो तुम महफिल में कैसे आग लगाई जाती है,
लफ्ज़ों का बारूद बिछा कर होंठों से चिंगारी रख,
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ज़िल्लत के जीने से तो इज्जत से मरना बेहतर है,
मुश्किल हों हालात भले कायम अपनी खुद्दारी रख,
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आभार सहित :- भरत मल्होत्रा।