मारवाड़ की अमर धरा को
मारवाड़ की अमर धरा को प्यार दिया भगवंता ने
उदयसिंह के घर प्रताप को जन्म दिया जयवंता ने
शूरवीर के शोणित से शर्माते सात समंदर भी
धर्म धरा पर धरे धनुष को धारे धर्म धुरंधर ही
धन्य धन्य धोरो की धरती , धन्य धरा राजस्थानी
कण कण से भी गूंज रही है , राणा की अमर कहानी
नये कलम से नयी कहानी लिख दी थी अभियंता ने
उदयसिंह के घर प्रताप को जन्म दिया जयवंता ने
शूरवीर और धर्म धरा का रक्षक वो अलबेला था
मुगलों की सेना के आगे डट कर खड़ा अकेला था
कष्ट सहे पर शीश न उसने अपना झुकने दिया कभी
घायल थे पर दुश्मन से संग्राम न रुकने दिया कभी
उसके पौरुष का लोहा माना था हर आक्रांता ने
उदयसिंह के घर प्रताप को जन्म दिया जयवंता ने
— मनोज डागा “राजस्थानी”