कविता

मातृदिवस की सार्थकता

मातृदिवस की सार्थकता
आइना हमें दिखाती है
सोशल मीडिया में मिस यू माय
और आई लव यू माँ की
जैसे बाढ़ सी आ जाती है,
तो वृद्धाश्रमों में माँओं की
निस्तेज आँखें हमें मुँह चिढ़ाती हैं,
मातृदिवस की सार्थकता पर
प्रश्न चिन्ह लगाती हैं।
नौ महीने जिसके उदर में सुरक्षित रह
आज हम दुनिया देख रहे हैं
यह विडंबना नहीं तो और क्या है
कि हम मातृदिवस की औपचारिकता निभा
खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं।
बड़ी बेशर्मी से अपनी माँ की कोख लजा रहे हैं,
कितने लायक हैं हम सब
अपनी माँ को वृद्धाश्रमों की चहारदीवारी में
भेज हाथ झाड़ रहे हैं ,
मातृदिवस की सार्थकता
सही मायने में सिद्ध कर रहे हैं,
बेशर्मी का खूबसूरत सबूत दे रहे हैं,
क्योंकि हम मातृदिवस तो
आखिर मना ही रहे हैं।

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921