लघुकथा

लघुकथा – सर्दी

“फिर बारिश होने लगी मम्मी, तुम भींग जायेगी। चलो, कुछ देर सामने के मकान के बरामदे में रुक जाते हैं।”
“नहीं बेटा ! स्कूल पहुँचने में तुम्हें देर हो जायेगी। हल्की बूँदा- बूँदी हो रही है।”
“माँ! मेरी छोटी -सी छतरी में तुम आ भी नहीं सकती। पानी से भींगने से तुम्हें सर्दी लग जायेगी।”
“मुझे सर्दी नहीं लगेगी बेटा।”
“कैसे…?”
“मैं माँ हूँ ना बेटा।”
सात साल का अबोध बालक माँ की बात सुनकर चुप रह गया।
— निर्मल कुमार डे

निर्मल कुमार डे

जमशेदपुर झारखंड [email protected]