दोहे – विवाह
करते सभी विवाह को, बाँध प्रेम की डोर।
इक दूजे का साथ हो, छूटे कभी न छोर।।
बेटी होती लाडली, एक पिता की जान।
देते वर के हाथ में, करते कन्यादान।।
बोली बोलो प्रेम से, होना मुक्त दहेज।
मात-पिता की प्राण है, रखते सभी सहेज।।
जीवन खुशियों से भरे, रहे पिया का साथ।
बाधा आये सामने, थामे दोनों हाथ।।
लाओ एक सुधार जी, आगे बढ़े समाज।
भेद-भाव को छोड़ दो, युग बदलेगा आज।।
— प्रिया देवांगन “प्रियू”
सरकारी नौकर मिले, वधु की होती मांग।
बनता क्यूं अपराध है, केवल वर की मांग?