छप्पन भोग
बरसों बाद घर आए बेटे ने जैसे ही खाने की थाली से निवाला तोड़ माँ को खिलाया, माँ की आंखों में बसा हुआ इंतजार आंसुओं के रूप में बह गया।
बेटे की मुस्कान पर न्यौछावर होती हुई माँ पूछ ही बैठी, “आज इस बूढ़ी माँ की याद कैसे आ गई?”
“आज मातृ दिवस है मांजी” , भैय्या जी और आपकी फोटो पार्टी ऑफिस में लगानी है।” फोटो खींचते हुए कार्यकर्ता ने जवाब दिया।
जाने क्यों, छप्पन भोग का स्वाद किरकिरा हो गया था।
अंजु गुप्ता