अस्तित्व
“कैसा बेटा है तूं, जो चाची जी को अनाथाश्रम छोड़ आया है?” श्यामू दीपक को धिक्कारते हुए बोला।
“ग्रो अप मैन,” अनाथाश्रम का नाम सुनते ही दीपक बिदकते हुए बोला, “उसे अनाथाश्रम नहीं, वृद्धाश्रम कहते हैं। वहां उन्हें हमउम्र …”
“हमउम्र लोग तो अनाथाश्रम में भी मिलते हैं। अगर उन्होंने भी तुझे ताउम्र हमउम्र लोगों में ही रहने दिया होता, तो … ?” , गुस्से से श्यामू बोला।
इस “तो” की सोच ही दीपक का अस्तित्व हिला गई थी ।
अंजु गुप्ता “अक्षरा”