मंत्र
रेस के मैदान में सलोनी दौड़ने को बिलकुल तैयार थी. रेस शुरु होने का संकेत मिलते ही रेस शुरु हुई. सलोनी ने भी दौड़ना शुरु किया. पर यह क्या! दौड़ना शुरु करते ही उसके जूते का फीता खुल गया. उसने रुक कर फीता बांधा और दौड़ना शुरु किया.
वह दौड़ी, तेज दौड़ी, और तेज दौड़ी, तूफान से भी तेज दौड़ी और सलोनी जीत गई——–
अपनी जीत पर उसे जरा भी आश्चर्य नहीं हुआ. उसके दादा जी द्वारा दिया गया जीत का मंत्र जो उसके साथ था!
“घायल तो हर परिंदा है,
मगर जो फिर से उड़ सका, वही जिंदा है.”