कविता
संस्कारों के फूल खिलाएँ।
सुंदर घर- संसार बनाएँ।।
मान रहे जिस घर में सबका,
ऐसा हम परिवार बसाएँ।।
भाग दौड़ की रही जिंदगी।
फुर्सत का रविवार मनाएंँ।।
हंँसते- गाते रहें हमेशा।
जीवन से सब, खार हटाएँ।।
हाथ जोड़कर मिल लें सबसे,
अच्छा ही व्यवहार बनाएंँ।।
मानव जीवन जब यह पाया।
भक्ति भाव से पार लगाएंँ।।
गूंँथ- गूंँथ कर भाव सुमन सब।
मांँ शारद को हार पहनाएँ।।
रूठ गया है जो भी हमसे
वीनू चलकर उसे मनाएँ।।
— वीनू शर्मा