मुक्तक/दोहा

शिव शंकर

शिव गौरी का पूजना,भरता मन में आस।होती पूरी कामना,सच्चा है विश्वास।।1महिमा भोलेनाथ की, जान गया संसार।अपने भक्तों पर करें,बाबा नित उपकार।।2शिव शंकर दाता बड़े, करते है कल्याण।आधि- व्याधि को दूर कर,सदा बचाते प्राण ।। 3भोले शंकर आपके, जटा विराजे गंग।शीश मुकुट पर चंद्र है, सोहे गले भुजंग।।4भोले शंकर आप हो, और आप नटराज।माहेश्वर शंकर प्रभो,सब […]

कविता

कविता

संस्कारों के फूल खिलाएँ।सुंदर  घर- संसार बनाएँ।।मान रहे जिस घर में सबका,ऐसा हम परिवार बसाएँ।।भाग दौड़ की रही जिंदगी।फुर्सत का रविवार मनाएंँ।।हंँसते- गाते रहें हमेशा।जीवन से सब, खार हटाएँ।।हाथ जोड़कर मिल लें सबसे,अच्छा ही व्यवहार बनाएंँ।।मानव जीवन जब यह पाया।भक्ति भाव से पार लगाएंँ।।गूंँथ- गूंँथ कर भाव सुमन सब।मांँ शारद को हार  पहनाएँ।।रूठ गया है […]

गीतिका/ग़ज़ल

प्रेम के गीत

बांसुरी प्रेम के गीत गाती रही,सांवरे आपकी याद आती रही।नाम तेरा मुझे भा गया मोहना,गीत तेरे ही मैं गुनगननाती रही।प्रीति में डूबकर बावरी हो गई,तीर यमुना केे मैं आती जाती रही।द्वारिका छोड़कर कृष्ण आ जाइए,प्रेम से  आपको मैं बुलाती रही।भाव से हूँ भरी जानते आप हो,नैन भी आपसे ही चुराती रही।ज्ञान की बात आती नहीं […]

कविता

आई न प्रीतम की पाती

आई न प्रीतम की पातीसारी उम्र यूँ ही बिता दीमन के द्वार खोल कर देखाछाई  मन ने ग़हन उदासी।अपनापन न कहीं मिलाढूंँढ लिया जग सारा हमनेमहानगर के शहर अनोखेलोग पराए भीड़ है खासी।।चांँद आजकल नहीं दिखताअंँधकार भी नील गगन मेंझोपड़ियों में डेरा डालावैसे ये दूर गांव के वासी।।दिल की बातें किसे बताएंहर कोई यहांँ भाग […]

गीत/नवगीत

आज वही सौगात लिखूं

बैठी बैठी सोचा करतीक्यों न प्रकृति की बात लिखूं।मानव को जो मिली प्रकृति से,आज वही सौगात लिखूं।शीतल सघन वृक्ष है,आश्रयखग मृग  का है यह बरगद।देख-देख हरदम ही प्रमुदित,रहता मेरा  मन  है गदगद।इसे देखकर मन कहता हैईश्वर की खैरात लिखूंमानव को जो मिली प्रकृति से,आज वही सौगात लिखूं।रंग बिरंगी तितली का मैंफूलों संग विलास लिखूं।या बसंत […]

गीतिका/ग़ज़ल

गुरुजन

महके फिर पल- पल जीवन का ध्यान लगा अपने गुरुजन का। मन तो भटके इधर- उधर ही हाथ पकड़ ले व्याकुल मन का। अच्छा करना,अच्छा बनना देख भरोसा क्या इस तन का। परहित काम करें हम दिल से सदुपयोग होगा इस धन का। गुरुवर ने ही हमें बताया रिश्ता बेहद अपनेपन का। गुरु पूर्णिमा दिवस […]

कविता

माँ गंगा

आशीर्वाद लिया भोले का, मन में भरे उमंग। हिमगिरि से निकली माँ गंगा, बदल गए सब रंग। गंगोत्री से चलकर आई, करती जग कल्याण। भारत की पावन धरती को,देती जीवन दान। इसको लाने भागीरथ ने, जप तप किया महान। मां गंगे ने रखा भक्ति का,पूरा फिर सम्मान। अन्न और धन जीवन पा कर,पलते घर परिवार। […]