कविता

माँ गंगा

आशीर्वाद लिया भोले का, मन में भरे उमंग।
हिमगिरि से निकली माँ गंगा, बदल गए सब रंग।
गंगोत्री से चलकर आई, करती जग कल्याण।
भारत की पावन धरती को,देती जीवन दान।
इसको लाने भागीरथ ने, जप तप किया महान।
मां गंगे ने रखा भक्ति का,पूरा फिर सम्मान।
अन्न और धन जीवन पा कर,पलते घर परिवार।
दोनों हाथ लुटाती माता, करती सबसे प्यार।
हरा भरा यह देश,उपज से,भरे खेत खलिहान।
यह सब हैं मां देवनदी के, हम सब पर अहसान।
युगों युगों से कलकल बहती, देती जीवन दान।
नमन करें निर्मल धारा को,रखना इसका ध्यान।
स्वच्छ हमेशा रखें इसे हम,ज़िम्मेदारी मान।
पावन यह गंगा मैया है, ईश्वर का वरदान ।
कचरा नहीं बहानाइसमें, याद रखें यह बात।
आने वाली पीढ़ी को दें, यह निर्मल सौगात।
भागीरथी मात गंगे दे,कष्टों में परित्राण।
पाप विमुक्त करे मानव को,भर देती नव प्राण।
— वीनू शर्मा

वीनू शर्मा

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