लघुकथा

तुलना

“आपने शादी के पहले खुद मुझसे बहुत सारी जानकारी ली। फिर दूसरों से क्यों तुलना? मैंने तो कभी अपनी डिग्री की गलत सूचना नहीं दी।”
पत्नी की बातों से आकाश को लगा पत्नी आज मूड बना कर बात कर रही है, “क्यों आज तुम बहुत नाराज़ हो?”
“मैं नाराज़ नहीं हूँ, नाराज होकर भी क्या कर सकती हूँ!” नीला ने कहा।
“तो फिर?”
“आप मेरे पति हैं। आपकी जिन बातों से मुझे दुख होता है उसकी चर्चा बाहर नहीं करना चाहा,अपने माता- पिता से भी नहीं,इसी लिए आपसे की।”
“दूसरे की पत्नी से तुलना करना मुझे खराब लगा। हर इंसान की अपनी अलग-अलग शख्शियत होती है।”
” हाँ इसे मैं मानता हूँ”,आकाश को लगा कि नीला इतनी साधारण नहीं है जितना वह समझता है।
“आप मर्द लोग दूसरों की बीबी की प्रशंसा कितनी आसानी से कर लेते हैं। कोई औरत पराए मर्द की प्रशंसा कर दे तो उसे बदचलन तक कहने से बाज नहीं आता उसका मर्द।” नीला ने कहा।
“बस करो मैडम,आपकी बातों में दम है।चलो अब चाय तो पिला दो आकाश ने कहा। नीला आकाश को पहली बार पराजित देख हँस पड़ी और चाय बनाने किचेन में गई।
— निर्मल कुमार दे

निर्मल कुमार डे

जमशेदपुर झारखंड [email protected]