कविता

बहुत लुट चुके हम

बहुत लुट चुके हम – मुहब्बत के इल खेल में
मंज़र अपनी बरबादी का – हमसे देखा नहीं जाता
थक गये हैं हम – राह आपकी देखते देखते
इंतज़ार अब आपका – हम से किया नहीं जाता

अकेले अब हमसे – उठता नहीं बोझ ज़िंदगी का
कट जाती आराम से ज़िंदगी – साथ आपका अगर मिल जाता
ग़ौर मत कीजिये हमारे – नादान दल की नादानी पर
बिछड कर आपसे – अब हमसे इस दुनिया में रहा नही जाता

रहना ही इस मै खाने की – कभी भी कम नही होती
अगर होती शराब सुराही में – तो पैमाना खाली नहीं होता
शमा तो यूं ही बदनाम नहीं – इन परवानों की मौत के लिये
जलती ही ना अगर शमा – तो परवाना कोई भी कभी जला ना होता

ज़िद करते ना कभी भी हम – बीच दरिया में जाने की मदन
नज़ारा लहरों का अगर हमें – साहिल से दिखा दिया होता
लाकर किनारे पर हम को – डुबो दिया हमारी ज़िंदगी ने
डूब जाते अगर हम मँझदार में – तो गिला हमको नहीं होता

मदन लाल

Cdr. Madan Lal Sehmbi NM. VSM. IN (Retd) I retired from INDIAN NAVY in year 1983 after 32 years as COMMANDER. I have not learned HINDI in school. During the years I learned on my own and polished in last 18 months on my own without ant help when demand to write in HINDI grew from from my readers. Earlier I used to write in Romanised English , I therefore make mistakes which I am correcting on daily basis.. Similarly Computor I have learned all by my self. 10 years back when I finally quit ENGINEERING I was a very good Engineer. I I purchased A laptop & started making blunders and so on. Today I know what I know. I have been now writing in HINDI from SEPTEMBER 2019 on every day on FACEBOOK with repitition I write in URDU in my note books Four note books full C 403, Siddhi Apts. Vasant Nagari 2, Vasai (E) 401208 Contact no. +919890132570