सामाजिक

विनम्रता ही सफलता के गुणों की कुंजी है

वैश्विक रूप से अगर हम देखें तो भारत संस्कारों की एक खान है,जिसमें अनेक लाजवाब इंटेलेक्चुअल मोती भरे हैं,जो विश्व प्रसिद्ध हैं।आज अगर हम हर क्षेत्र में देखें तो भारत में हमें अच्छे संस्कारों में उपरोक्त व्यक्तित्व भरे मिलेंगे।यह भारत की मिट्टी में ही अच्छे संस्कारों की महक समय हुई है।और वातावरण को भरपूर श्रेष्ठ बनाने में सुलभ होती है।
बात अगर श्रेष्ठता, सौम्यता, बुद्धिमता, कुशलता, नम्रता, काबिलियत और उच्च मानसिक योग्यता की करें, तो किसी ने ठीक ही कहा है कि श्रेष्ठता जन्म से नहीं आती वह तो गुणों के कारण निर्माण होती है।बिल्कुल सच्ची बात और किसी महान व्यक्ति ने यह भी जोड़ा कि दूध, दही, छाश, माखन, सब एक ही कुल के होते हैं,पर सबके मूल्य अलग- अलग होते हैं।वाह क्या बात है, सुंदर बात कही है।
 यह संस्कारों की एक कड़ी के साथ जुड़ती है,जो भारत देश की मिट्टी से में समाई हुई है।आज हम भारत को देखें तो भारत वैश्विक रूप से संस्कारों, गुणों और बौद्धिक क्षमता में प्रसिद्ध है।आज काफी विकसित देशों की बौद्धिक क्षमता में मूल भारतीयों  का बहुत बड़ा योगदान है, आज विदेशों में भारतीय मूल के डॉक्टर, इंजीनियर, विशेषज्ञों की संख्या काफी अधिक है।अमेरिकी अंतरिक्ष दल के आसमान पर पहुंचने वाली महिला भी भारतीय मूल की ही है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन मंत्रालय में प्रमुख पद वाली महिला भी मूल रूप से भारतीय ही है। भारत में एक ऐसा श्रेष्ठ वातावरण, परिश्रम, पारिवारिक सहयोग, शैक्षणिक स्तर, बौद्धिक क्षमता, काफी विस्तृत है, जो भारतीयों में गुणों का निर्माण या एक्सेस शक्ति काफी तीव्रतासे पैदा करता है।उस काबिल हो जाने में भारतीय श्रेष्ठ हो जाता है। भारतीय गुणोंमें ओतप्रोतव्यक्तित्व विश्व में सफलता के झंडे गाड़ता है।
एक भारतीय में संस्कारी गुण व बौद्धिक क्षमता ऐसी समाई रहती है कि वह दिनरात मेहनत कर अपनी मंजिल पर पहुंचने की चाह को ठान लेता है,और सफलता की सीढ़ियों पर आसानी से पहुंच जाता है। किसी ने कहा है कि भारतीय जैसा मेहनतकश इंसान विश्व में कहीं नहीं है, और विनम्रता सबसे अधिक भारतीयों में ही पाई जाती है। श्रेष्ठता पाने के लिए जो गुण होते हैं उसमें विनम्रता का महत्वपूर्ण स्थान है विनम्रता से असामान्य और असंभव कार्य भी संभव और सामान्य हो जाते हैं।
विनम्रता ही सफलता के गुणों की कुंजी है। गुणों में बुद्धिमता का भी श्रेष्ठ स्थान है,जो भारतीय में कूट-कूट कर भरी है। इसका परिणाम हम अनेक कोविड वैक्सीनों के भारत में निर्माण के रूप में हम देख रहे हैं और अभी प्रिकॉशन डोज सहित छोटे बच्चों से लेकर के बड़ों तक को दोष लग रहे हैं जो दो सौ करोड़ के करीब शीघ्र ही पहुंच जाएंगे।
आज भारत आत्मनिर्भर भारत की ओर तेजी से बढ़ रहा है, जिसका कारण भारतीयों में आधुनिक तकनीकी गुणों का तेजी से उदय होने का है।
अगर हम वैश्विक रूप से मेहनत की बात करें तो,एक सर्वे के अनुसार भारत सबसे अधिक मेहनती देश है और अधिकतम मेहनतकश इंसान अपनी मेहनत से खुश है और स्वाभाविक रूप से मेहनतकश इंसान में गुणों की भरपूर मात्रा होती है और भारत में रहकर भारत की मिट्टी से ओतप्रोत इंसान में ही गुणों की अधिकतम मात्रा होगी और भारत में ही नहीं वैश्विक स्तर पर भारतीय नागरिक व्यवसाय, व्यापारिक, अन्य सेवा, प्रदान करने वाले व्यक्ति का मूल्य अपेक्षाकृत अधिक होगा और अगर योजनाबद्ध तरीके से रणनीति बनाकर कार्य किया जाए तो स्वरोजगार, सरकारी नौकरी और विदेशों में सेवाओं के अनेक अवसर सबसे पहले भारतीय नागरिक को ही प्राप्त होंगे क्योंकि एक भारतीय में अपेक्षाकृत योग्यता, गुण, बुद्धिमता, कुशलता अधिक है।
— किशन सनमुखदास भावनानी

*किशन भावनानी

कर विशेषज्ञ एड., गोंदिया