आईरीन बिल डेविस : पुत्री के लिए चिंतित रहते हैं सभी माता-पिता
यह बात 1972 की है। मैं ल्यामुंगो (तन्जानिया) के काफी रिसर्च स्टेशन पर रिसर्च अफसर की प्रतिनियुक्ति पर या। परिवार साथ ही था। हमारे बंगले के साथ प्रिजांट परिवार तथा उससे अगले बंगले में डेविस परिवार रहता था। वे भी हमारी तरह विदेशी थी और कैनेडा सरकार की सहायता से चल रहे कृषि सुधार परियोजना के अंतर्गत यहां रह रहे थे। बिल डेविस और उनकी पत्नी 60 वर्ष के आसपास की आयु के होंगे। उनकी बेटी आईरीन भी उनके साथ ही रहती थी, वह 21,22 वर्ष की होगी। प्रायः प्रतिदिन सायंकाल को टहलते हुए वे हमें मिल जाया करते थे और हैलो अवश्य करते थे। इस आयु में भी वे दोंनों पति पत्नी हाफपैंट या निक्कर पहनकर घूमा करते थे। तीनों ही बड़े मिलनसार थे। वे कैनेडा के ग्रामीण क्षेत्र से थे। हम उन्हें कभी-कभी काफी या चाय के लिए बुला लेते थे और वे आ जाया करते थे और बातचीत करते थे।
एक दोपहर हम सब को मिसेज डेविस ने अपने घर बिना कोई अवसर बताए खाने पर बुला लिया। वहां जाकर पता चला कि आज उनकी विवाह की वर्षगांठ है। उन्हें शुभकामनायें दी ।खाना साधारण परन्तु बहुत अच्छी तरह सजाया गया था। खाने के बाद हम लोग चलने लगे तो बिल डेविस ने कहा कि काफी के बाद चले जाना। बातचीत कैनेडा और भारत के परम्परागत रिवाजों पर हुई। मिसेज डेविस ने बताया कि बिल को उसने जब पहली बार देखा था, बड़ा हैंडसम और शर्मीला युवक बैठा कुछ पढ़ रहा था और मुझे अपने पास आते देख खड़ा हो गया और पूछा कि मेरे से कुछ कहना है ?मेरी आंखे नीची हो गई और बिना कुछ कहे वहां से भाग आई। एक बार और ऐसे ही अचानक उसे देखा और पता नहीं क्यों बहुत अच्छा लगा और मन में गुदगुदी हुई । बाद में एक दिन हम दोनों अचानक पार्क में मिल गए तो बिल ने कहा “तुम बड़ी अच्छी हो” सुनते ही मेने मुंह से निकल गया ” जैसे तुम अच्छे हो”। बस इसके बाद हमने अपने परिवार वालों को बता दिया और हमास विवाह हो गया और आज यहां हैं। सुनकर बड़ा ही अच्छा लगा और कहा कि आप भी हमारी तरह ही पारम्परिक हो। उन्होंने हमारे वैवाहिक जीवन के बारे में पूछा कि आप इतने वर्षों से एक साथ कैसे रह रहे हैं, कैनेडा में तो 5 वर्ष में ही ऊब जाते हैं और नये संबंध बना लेते हैं। हमारा यहां ऐसा बहुत कम है। उन्हें यह जानकर बहुत आश्चर्य हुआ कि हमारे यहां तो विवाह में कई रस्में होती हैं। सबसे पहले लड़की के माता पिता वर ढूँढते हैं और फिर दोनों परिवार मिलकर यह रिश्ता तय कर लेते हैं और दोनों को सगाई हो जाती है। इसके बाद वास्तविक विवाह की रस्में आरम्भ होती हैं।लड़के की सेहराबंदी और घुड़चढ़ी होती है। लड़का घोड़ी पर बारात के साथ लड़की के घर जाता है और वहां लड़के और लड़की के मुख्य संबंधियों की मिलनी होती है और लड़के को लड़की वरमाला डालती है ।इसके बाद विवाह संस्कार होता है तथा सभी उपस्थित लोग वर और वधु को आशीर्वाद देते हैं और लड़की वाले वधु को वर के साथ विदा किया जाता है। बारात के साथ वर और वधु अब अपने घर (ससुराल) वापस आजाते हैं और वधु का गृह प्रवेश होता है। अब दोनों पति पत्नी हैं।ऐसा सामान्य है परंतु इसके मध्य कुछ और रस्में भी हो सकती हैं। कहीं कहीं थोड़ा अंतर भी हो सकता है। इस प्रक्रिया में कम से कम एक दिन तो लगता ही है।हमने एक दूसरे को विवाह के बाद ही देखा था क्योंकि हमारा रिश्ता माता पिता ने ही निश्चित किया था। वर और वधु माता पिता के साथ या पृथक रहने के लिए स्वतंत्र हैं। लगभग सभी परिवार आजीवन साथ रहते हैं। कभी कभी बात पुरानी रस्मों और रीति-रिवाजों की होती और दोनों ग्रामीण कैनेडा और भारतीय रस्मों पर चर्चा हो जाती थी।वे भी रूढ़िवादी लगे।
एक शाम 6 बजे के लगभग मिस्टर और मिसेज डेविस को टहलते देखा तो कुछ अजीब तरह का लगा क्योंकि वे शीघ्रता से टहल रहे थे। कुछ चिंतित लगे और अगले चक्कर में भी अस्वभाविक लगे तो हमारी श्रीमती ने मिसेज डेविस से पूछ ही लिया ” आप किसी चिंता में हैं कया ?” और उसने बताया कि आईरीन आज पिक-अप लेकर मोशी गई है और अभी तक नहीं आई और अंधेरा हो गया है।एक घंटे का काम था। आज तक समय से पहले ही आ जाती थी, पता नहीं कहां रह गई या कुछ और हुआ है और अब पता भी कहां करें? बिल तो चलने को कह रहा था पर मेरा ही मन नहीं मान रहा। इसलिए चिंताग्रस्त हैं।
हमने उन्हें सलाह दी कि आओ हम सब यहां लान में ही एक कप काफी लेते हैं।थोड़ी देर और प्रतीक्षा करते हैं और हमें विश्वास है कि वह रास्ते में है, आ जाएगीं। इतने में लड़का काफी लेकर आया और हमने खड़े खड़े ही काफी पी और उन्हें चिंतामुक्त होने के लिए कहते रहे। इतनी देर में उसकी पिक-अप का हार्न सुनाई दिया और अपने बंगले के आगे ही उसे रोक लिया और उसे भी काफी पिलाई। जिनसे बातचीत करने वह गई थी, उनका लेट होने का कारण उनके पड़ोसियों ने बताया और वह रुक गई और इस तरह 2 घंटे लेट हो गई थी।
ऐसी अवस्था में पता चला कि विदेशों में ग्रामीण क्षेत्रों के लोग हमारी तरह ही लड़की के लिए चिंतित रहते हैं। अकेली लड़की को घर से बाहर अधिक समय लग जाये तो चिंता होती है,यह स्वाभाविक है और माता-पिता ही जान सकते हैं। आज 50 वर्ष बाद भी यही स्थिति है।
डा वी के शर्मा, शिमला ।