दोहे – भगवान को संदेश
इंसां होना है कठिन,सुन तू ऐ भगवान।
देख परेशानी ज़रा,जीना ना आसान।।
इंसां नित ही भोगता,कष्ट,दर्द का शाप।
दुख के काँटे,वेदना,कौन सकेगा माप।।
इंसां ईश्वर पूजता,सुखी रहे हर एक।
पर पीड़ा का संग है,बढ़ते रोग अनेक।।
सचमुच में होना सरल,स्वर्ग बैठ भगवान।
पर धरती पर आदमी,की आफ़त में जान।।
जब धरती पर आ गए,भगवन् ले अवतार।
झेली विपदाएँ बहुत,पाया अति अँधियार।।
इंसां कितना है दुखी,क्या जाने भगवान।
क़दम-क़दम पर मौत है,मुश्किल का जयगान।।
स्वर्ग बैठ शासन करें,सुखमय हैं भगवान।
पर कितना पीड़ित,दुखी,धरती का इनसान।।
जन्म मनुज का ले यहां,केवल पश्चाताप।
मानव अकुलाता सतत्,लगे उसे अभिशाप।।
मंदिर-मस्जिद रख दिया,इंसां ने भगवान।
नहीं करे पर दुख परे,परेशान इनसान।।
यह दुनिया है कष्टमय,सुख दे दे भगवान।
अन्न,नीर दे,दे वसन् ,कर कोविड-अवसान।।
— प्रो (डॉ) शरद नारायण खरे