हास्य व्यंग्य

साहब का कुत्ता

बड़े साहब के बंगले पर
पहला बोला”साहब का कुत्ता हैं,
तू तू तू वाला नही बल्कि बिल्कुल साहब के परछाई जैसा समझो।
दुसरा बोला”ओह तब तो इसको साहब वाला दुलार चाहिये।
पहला “अरे मेम साहब अपने भाई के घर से लेकर आयी थी,
दुसरा “बड़ा नसीब वाला कुत्ता हैं, देखो कैसे ऐठ रहा राजकुमार की तरह नखरे हैं।
पहला “हां क्यो नही साहब के साथ मेम साहब के मायके का ठहरा।
दुसरा “अब काम निकालने के लिये कुत्ता का भी जी हुजूरी करना हैं।
पहला “यही कलयुग हैं,कुत्ते की खुशामद करना हैं।
दुसरा “निगोड़ा देखो कुत्ते की नसीब खजलाने के लिये नौकर चाकर रख लिया हैं।
पहला” इधर दो दाने के लिये लोग मोहताज और इसके लिये जन्मदिन पर महंगा केक आता हैं।
दुसरा “सुना साहब इसके जन्मदिन पर पार्टी के नाम पर महंगे उपहार झटक लेते हैं।
पहला” बड़े लोगो की बड़ी शान हैं, इसके बिना कैसे वो अमीरों वाला सुख अनुभव होगा।
दुसरा”अरे कल की बात कोई बड़े साहब दिल्ली मे अपने कुत्ते को खेल के मैदान में टहलाने में नप गये।
पहला “ओह ऐसा क्या?
तभी चपरासी आकर बोला “अभी साहब कुत्ते के साथ जरुरी रनिंग पर जा रहे कल मुलाकत करना।
— अभिषेक राज शर्मा

अभिषेक राज शर्मा

कवि अभिषेक राज शर्मा जौनपुर (उप्र०) मो. 8115130965 ईमेल [email protected] [email protected]