अंतस् की 34वीं अंतरराष्ट्रीय गोष्ठी
29 मई 2022 की शाम 5 बजे(भारतीय मानक समय) से 8 बजे तक पूरे जोश से अनवरत चली सतरंगी भावों और विधाओं से सजी, काव्य के विभिन्न रसों से सराबोर अंतस् की 34वीं उत्कृष्ट गोष्ठी अंतरराष्ट्रीय रही।
अध्यक्षता- डॉ आदेश त्यागी (परामर्शदाता, अंतस्)
मुख्य अतिथि-अनिल वर्मा मीत(वरिष्ठ शायर)
विशिष्ट अतिथि-नेहा वर्तिका, स्विट्ज़रलैंड
संयुक्त सञ्चालन -पूनम माटिया(अध्यक्ष, अंतस्) एवं दुर्गेश अवस्थी(महासचिव, अंतस्)
सरस्वती वंदना-अलका शर्मा, उत्तर प्रदेश
काव्य पाठ-
उपरोक्त व उल्लिखित के अतिरिक्त-
राम लोचन- गीतकार (सदस्य, अंतस्)
देवेंद्र प्रसाद सिंह- व्यंग्य कवि(कार्यकारी महासचिव, अंतस्)
डॉ नीलम वर्मा-वरिष्ठ साहित्यकार
सोनम यादव-वरिष्ठ शायरा
धृति बेडेकर-साहित्यकार(सदस्य, अंतस्)
डॉ उषा अग्रवाल- कवि(सदस्य, अंतस्)
अनुराग ओझा-कवि
सुशीला श्रीवास्तव-कवि(सदस्य, अंतस्)
प्राची कौशल-कवि(सदस्य, अंतस्)
विशिष्ट उपस्थिति एवं उद्बोधन- अंशु जैन(वरिष्ठ उपाध्यक्ष, अंतस्) एवं ऋतु भाटिया(सदस्य, अंतस्)
सुधि श्रोता- बृज भूषण गुप्ता, डॉ आर के गुप्ता, डॉ दिनेश शर्मा(अलीगढ़), डॉली अग्रवाल(हरियाणा), राहुल दीक्षित तथा अन्य।
बानगी के तौर पर कुछ अशआर देखिए..
*जब वक़्त था खरा तो खोटे सिक्के चल गए
अपने-पराये सब मेरे साँचे में ढल गए
ग़ुरबत में मेरी जेब क्या उधड़ी कि जेब से
पैसों की क्या बिसात थी, रिश्ते निकल गए*
…आदेश त्यागी
*रिश्तों पर पैसे ने अपना काम किया
हर मौक़े को लोग भुनाने लगते हैं
चार ही लोगों का क़िस्सा है सारे दिन
जब चाहे वे बात बनाने लगते हैं*
….पूनम माटिया
फ़ैसला कर ही डालिए साहिब
आजकल पर न टालिए साहिब
फिर किसी दूसरे की सिम्त बढ़ो
पहले खुद को संभालिए साहिब
…अनिल वर्मा ‘मीत’
*पिता हैं साथ तो हर इक सहारा साथ है मेरे
भँवर के बीच भी जैसे किनारा साथ है मेरे* ..…रामलोचन
*ऐ ख़ुशी! ये बता तू मिलेगी कहाँ
भागती जा रही है रुकेगी कहाँ*
….नीलम वर्मा
*बेसबब, बेहिचक मुस्कुराया करो
हमसे मिलने यूँ ही रोज़ आया करो*
….सोनम यादव
*माँ शारदे पुकार लो बस ,हो गया नमन।
ज्ञान, विवेक, लालित्य निधि सम्भव तुम्हीं से हैं
स्व चरित्र में उतार लो, बस हो गया नमन*
सरस्वती वंदना के अंश..
और
*दुनिया का आदर्श बन गया अवधपुरी का सिंहासन
जिसके साए में रहकर ही ,सहज , सुगम हर काज हुआ*
……अलका शर्मा
*हम करें भाई-चारा, और वो बना के चारा
“भाइयों” की छाती पर मूँग ही दलेंगे जी
शिवजी पे जालीदार टोपी पहना के उन्हें
उल्टी सीधी फौव्वारे की कहानी गढ़ेंगे जी*
..… देवेंद्र प्रसाद सिंह
*कर लिया आपने जो सिया का हरण।
तात! हितकर नहीं आपका आचरण।
फिर विभीषण ने, रावण से आग्रह किया।
वक़्त रहते गहो, राम जी की शरण।*
……सुशीला श्रीवास्तव
कुछ सात समुन्दर पार से, कुछ सड़क किनारे ठेलों से
सामान अनोखे लायी हूँ, दूकानों से, कुछ मेलों से
….नेहा वर्तिका
राम को चाहा, प्यार किया,
भरत से ज़्यादा को,
फिर भी वनवास दिलाया राम को!!*
…..उषा अग्रवाल
मन संन्यासी, तन संसारी,
अब इस धुन में है ढलना
…. धृति बेडेकर
चलो एक बार फिर मोहब्बत करके देखते हैं
घंटों फोन पर लंबी बातें कर के देखते हैं
…प्राची कौशल
दुर्गेश अवस्थी और पूनम माटिया ने बड़े रोचक अंदाज़ में श्रोताओं और कवियों का सामंजस्य बनाये रखा।
अध्यक्षीय उद्बोधन में अंतस् की गतिविधियों की सराहना करते हुए ऑफ़ लाइन आयोजन की कामना करते हुए आदेश त्यागी जी ने सभी के काव्य पाठ पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की।
वरिष्ठ उपाध्यक्ष अंशु जैन जी ने अंतस् के प्रति अपने लगाव और समर्पण को ज़ाहिर करते हुए संस्था के उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामनाएं प्रस्तुत कीं।
संस्था की अध्यक्ष पूनम माटिया ने गोष्ठियों के अतिरिक्त साक्षात्कार श्रृंखला-अंतस् से अंतस् तक की शीघ्र आने वाली तीसरी किश्त के बारे में भी सूचित किया जिसे अंतस् के यू ट्यूब चैनल-antas mail पर देखा जा सकेगा।
देवेंद्र प्रसाद सिंह जी ने अंत में सभी उपस्थित श्रोताओं और कविगण को धन्यवाद ज्ञापित किया।