क्या मिला
कुछ भी करो या तुम मरो
कुछ न बदलने वाला है,
कलियुग में असत्य का बोलबाला है
हर तरफ ही दिख रहा
सत्य का मुंह काला है।
कुछ नहीं होगा प्रिय
क्रम में चलता रहेगा,
कलयुग है प्यारे सुनो,
चापलूसों का जलवा रहेगा ।
सत्य का ढोल तुम
चाहे जितना पीट लो,
हाथ में केवल तुम्हारे
झुनझुना ही आयेगा।
सत्य पथ पर जो चले
शीष जो अपना कटाये
क्या मिला आखिर उन्हें
अब लौट क्या वो आयेंगे?
चापलूस है हम भी तो
इसका नहीं आभास तुमको,
चहुंओर फैला जलवा अपना
आँखों से अपने देख लो
चुंधिया रही आँखें तुम्हारी
आँख अपनी बंद कर लो।
सत्यपथ पर चलने की
देते हो जो तुम दुहाई,
चल रहे जो सत्यपथ
आखिर उनको क्या मिला?
इसलिए अपने आप से
हमको नहीं शिकवा गिला।