धरती की करुण पुकार
पर्यावरण के सामने , संकट है गंभीर
प्रदूषित हो गए है आज हवा,थल,नीर ।।
चला रहें पेडों पर ऑरी,कुल्हाड़ी,तीर
स्वार्थ में खो गए,न जानी इनकी पीर ।।
जंगल से गायब हो गए हाथी,शेर और मोर
रहे ये कैसे जब न हो पेड,पक्षियों का शोर ।।
धरती रही पुकार बचा लो मुझे नंदकिशोर
पेडों में है मेरे प्राण , पेड लगाओं चहुँओर ।।
— गोपाल कौशल भोजवाल