ग़ज़ल
ये पता सभी को है पूँछ लो ज़माने से।
सच कभी नहीं छुपता झूठ ताने बाने से।
चाहहोअगरदिलमेंकुछनहींहैनामुमकि
रास्ता निकल आता रास्ता बनाने से।
रायगां नहीं जातीं कोशिशें यक़ीं जानो,
मानते सभी रूठे जा उन्हे मनाने से।
उम्र झूठ की छोटी भूल कर नहीं बोलो,
राजकाज चलताकब झूठके फसानोंसे।
ज़ुल्म के तमाशोंसे मतदबा हमें हिटलर,
हम कभी नहीं दबते बेसबब दबाने से।
— हमीद कानपुरी