मोहब्बत की खुशबू
मोहब्बत की खुशबू का जब एहसास हुआ
वीणा के दिल के तार में एक वार हुआ।।
इतनी बेकरारी , बैचेनी सताई मुझको क्या
मोहब्बत ए मुझे बुखार हुआ।।
क्या यही सोचूं कि मुझे…………?
हां मुझे प्यार हुआ।।२।।
मुस्कुराने , खुद से बतियाने, शर्माने
महकने को दिल बेजार हुआ
यही तो है मोहब्बत की खुशबू जिसमे
डूब दिल गुले-गुलज़ार हुआ।।
क्या यही सोचूं कि मुझे…………?
हां मुझे प्यार हुआ।।२।।
एसा पहली बार हुआ , क्यों दिल काबू में
नहीं मेरे इतना बेकरार हुआ
किसी के दीदार के लिए दिल की तड़प को
बुझने के लिए आंखों पर एतबार हुआ।।
क्या यही सोचूं कि मुझे…………?
हां मुझे प्यार हुआ।।२।।
संगीत , लय का कानों में समा गुदगुदाना
जिससे ये मौसम भी बहार हुआ
बहार में एसा लगे जैसे ये चमन मेरे लिए
ही महक राह में बिछ मेरे सदाचार हुआ।।
— वीना आडवाणी तन्वी